मेरी बातों को दोहराए
संग मेरे वो हँसता रोता
का सखि साजन... ? ना सखि तोता।
मन को मेरे अति हर्षाता
प्यासे तन की प्यास बुझाता
जिसका रूप लगे मनभावन
का सखि साजन...?ना सखि सावन।
बगिया में वो फूल खिलाता
चुन-चुन कलियाँ हार बनाता
देख जिसे झूमे हर डाली
का सखि साजन...?ना सखि माली।
मन की गहराई में जाता
जो सच है बाहर ले आता
झूठे मनका करता तर्पण
का सखि साजन...?ना सखि दर्पण।
सुबह-सुबह से मुझको छेड़े
घर की छत पर मुझको घेरे
छूने से जुल्फें लहराई
का सखि साजन...?ना सखि पुरवाई।
मेरे आगे-पीछे डोले
लगता है मुझसे कुछ बोले
मेरे मन को है अति भाया
मेरे मन को है अति भाया
का सखि साजन...?ना सखि साया।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(0२-०२-२०२०) को "बसंत के दरख्त "(चर्चा अंक - ३५९९) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
-अनीता सैनी
सुबह-सुबह से मुझको छेड़े
ReplyDeleteघर की छत पर मुझको घेरे
छूने से जुल्फें लहराई
का सखि साजन...?ना सखि पुरवाई।
बहुत ही लाजवाब कहमुकरी सखी !
वाह!!!
हार्दिक आभार सखी 🌹
Deleteप्रेम रस की उम्दा कविता.
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह!!
ReplyDeleteअन्यन्त सुन्दर कहमुकरियां ।
वाह सखी शानदार कह मुकरी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
एक से बढ़कर एक 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌
ReplyDeleteमन की गहराई में जाता
ReplyDeleteजो सच है बाहर ले आता
झूठे मनका करता तर्पण
का सखि साजन...?ना सखि दर्पण।
वाह दीदी जी बहुत ही सुन्दर
कह मुकरी
धन्यवाद आदरणीया 🌹
Deleteबहुत सुंदर 🌸🌸🌸मनोहारी सृजन👌👌👌 जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है 🌸🌸🌸
ReplyDeleteबहुत खुब भाव जी नमन
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार
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