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Sunday, January 26, 2020

जहाँ जाना चले जाओ

जहाँ जाना चले जाओ
कभी फिर लौट के आओ।
मिलेंगे बंद दरवाजे
नहीं फिर साथ ये पाओ।।

किया विश्वास तभी टूटा
दिया था साथ वो छूटा।
लगी जब चोट सीने पे
तभी दिल का भरम टूटा।
भले अब लौटकर आओ
हमें झूठा न बतलाओं।
मिलेंगे बंद दरवाजे
नहीं फिर साथ ये पाओ।।

न मानी बात अपनों की
मिटा दी चाह सपनों की।
चला सब छोड़ के ऐसे
कमी तुझमें सदा से थी।
 बिना तेरे बहुत खुश हैं
यहाँ से तुम चले जाओ।
मिलेंगे बंद दरवाजे
नहीं फिर साथ ये पाओ।।

तेरे के ख्याल में खोए
सदा दिखते रहे सोए।
हमीं पागल बने ऐसे
मिले धोखे तभी रोए।
आँसू पोंछ लिए हमने
झूठी सूरत दिखलाओ।
मिलेंगे बंद दरवाजे
नहीं फिर साथ ये पाओ।।

यही सोचे कभी ये दिल
मिला क्या आज तुमसे मिल।
नहीं भूला मिला धोखा 
नहीं बदला बिचारा दिल।
अभी भी सोचता अक्सर
कहीं हमसे न टकराओ।
मिलेंगे बंद दरवाजे
नहीं फिर साथ ये पाओ।।
***अनुराधा चौहान*** 
चित्र गूगल से साभार

15 comments:

  1. अपने ही विचारों के क्रम में उलझी कविता
    सुंदर

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  2. बेहतरीन और लाजवाब👌👌 अत्यंत सुन्दर सृजन ।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 28
    जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार यशोदा जी

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  4. हार्दिक आभार सखी

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  5. बहुत सुंदर रचना है।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  6. हार्दिक आभार आदरणीय

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  7. एक बार विश्वास तोड़ने और धोखा करने वाले के लिए दिल के दरवाजे हमेशा के लिए बन्द हो जाते है...बस औपचारिकता बचती है प्रेम नहीं...
    बहुत लाजवाब सृजन
    वाह!!!

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  8. बहुत सुंदर गीत लिखा सखी आपने ।

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  9. वाह! सखी ,लाजवाब!!

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