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Saturday, January 11, 2020

तस्वीर पुरानी यादों की

धड़क उठी है फिर से, 
 दबी हुई सीने में याद।
नयी साल लेकर आई, 
फिर से यादों की सौगात।

छलक पड़े आँखों से आँसू,
तस्वीर पुरानी यादों की।
तोड़ गए हो जो कबसे,
यादें उन टूटे वादों की।

किस्मत की लाचारी देखो,
खाई अपने दिल पे चोट।
रोक सके न उन खुशियों को,
किस्मत में ही था कुछ खोट।

बरबस आँखें छलक पड़ी,
जब चल पड़ी हवाएं सर्द।
यादों का ऐसा धुआँ उठा,
जगा गया दिल में दर्द।

अब तो जब तक जीवन है,
ये तड़प कभी न कम होगी।
जब-जब तेरी याद आएगी,
ये आँखें यूँ हीं नम होंगी।

टूटेगा न यह रिश्ता,
जब-तक बँधी साँसो की डोर।
अहसासों का यह बंधन,
हरदम खींचे यादों की ओर।

अनुराधा चौहान स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार

20 comments:

  1. यादें बरबस रुला ही जाती हैं ,बेहद मार्मिक रचना सखी

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  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 12 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  3. बरबस आँखें छलक पड़ी,
    जब चल पड़ी हवाएं सर्द।
    यादों का ऐसा धुआँ उठा,
    जगा गया दिल में दर्द।
    बहुत ही मार्मिक रचना अनुराधा जी ।

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    1. हार्दिक आभार मीना जी

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  4. टूटेगा न यह रिश्ता,
    जब-तक बँधी साँसो की डोर।
    अहसासों का यह बंधन,
    हरदम खींचे यादों की ओर।
    बहुत सुंदर रचना,अनुराधा दी।

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    1. हार्दिक आभार ज्योति जी

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १३ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  6. शुभप्रभात, चोट जैसी नकारात्मक विषय पर भी आपने विस्मयकारी रचना लिख डाली हैं । मेरी कामना है कि यह प्रस्फुटन बनी रहे और हमारी हिन्दी दिनानुदिन समृद्ध होती रहे। हलचल के मंच को नमन करते हुए आपका भी अभिनंदन करता हूँ ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  7. हृदय स्पर्शी सृजन बहना
    सादर

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  8. वाह!सखी ,बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।

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  9. वार-त्यौहार बड़े दिन नया साल पर अपनों की यादें याद आ जाती हैं .... बहुत ही हृदयस्पर्शी मार्मिक सृजन
    वाह!!!

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