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Friday, January 3, 2020

नव विहान

राग-द्वेष में क्या रखा है
नवयुग का निर्माण हो
जनमानस के जीवन में 
सुखद भरा विहान हो
महक उठे वन-उपवन
महक उठा यह संसार
अम्बर से धरती तक
खुशियों की दस्तक देने
आया नव विहान
सुर्य की बिखरी लाली
जीवन में बन खुशहाली
रश्मियों का आँचल डोले
कानों में हौले से बोले
कब-तक यूँ चुप बैठोगे
नवगीत निर्माण हो
जनमानस के जीवन में
खुशियों भरा विहान हो
चहकते यह पंछी सारे
नवमंडल में पंख पसारे
तरुवर बोले झूम-झूमकर
उठो अपनी आँखें खोलो
कब-तक द्वेष की अग्नि में
अपने ही घर को फूकोगे
राग-द्वेष में क्या रखा है
नवयुग का हो निर्माण
जनमानस के जीवन में 
खुशियों भरा विहान हो
***अनुराधा चौहान***

11 comments:

  1. बहुत शानदार अभिव्यक्ति

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 04 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति अनुराधा जी राग द्वेष में क्या रखा है नव युग का निर्माण हो

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-०१-२०२०) को "शब्द-सृजन"- २ (चर्चा अंक-३५८०) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….

    अनीता सैनी

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  5. राग-द्वेष में क्या रखा है
    नवयुग का हो निर्माण
    जनमानस के जीवन में
    खुशियों भरा विहान हो....
    मनुष्य अगर सकारात्मकता के साथ जीए तो संसार का कल्याण हो जाए। साधुवाद ।

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  6. बहुत सुंदर भाव से गूँथी लोककल्याणकारी अभिव्यक्ति अनुराधा जी।
    सादर।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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