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Thursday, January 2, 2020

कुण्डलियाँ छंद--5

(25)
अविरल
अविरल आँखों से बहे,आँसू बनकर पीर।
बेटी को करके विदा,कैसे धरते धीर।
कैसे धरते धीर,चली प्राणो से प्यारी।
सूना होता द्वार,सजी है कितनी न्यारी।
कहती अनु यह देख,प्रथा यह कैसी अविचल।
छूटा बेटी साथ,नयन बहते हैं अविरल।
(26)
सागर
ममता सागर से भरी,माँ जीवन की आस।
रखती है संतान को,अपने आँचल पास।
अपने आँचल पास,नहीं दुख छूने पाए।
डरता माँ से काल,कभी जो छूने आए।
कहती अनु सुन आज,मात की अद्भुत छमता।
भागे संकट शीश,मिले जो माँ की ममता।
(27)
भावुक
सीता सीते जानकी, लेते सिय का नाम।
भ्राता लक्ष्मण साथ में,भावुक होते राम।
भावुक होते राम,मिली न सिया सुकुमारी।
पूँछें पंछी पुष्प,कहाँ हैं जनक दुलारी।
देखे राम का दुख,दिवस भी दुख में बीता।
मुरझा गया उपवन,हर लिया रावण सीता।
(28)
विनती
राधे राधे बोल के,मिल जाते घन श्याम।
करले इस संसार में,विनती आठों याम।
विनती आठों याम,बड़ी है लीला प्यारी।
मीरा चाहे श्याम,लगन राधा की न्यारी।
नटखट है गोपाल,हाथ में मुरली साधे।
चाहत कान्हा दरश,बुलाओ राधे राधे।

(29)
अनुपम
सुंदर शिव का रूप है,जोगी भोला नाम।
डमरू त्रिशूल हाथ में,अनुपम इनका धाम,
अनुपम इनका धाम,सती के संग बिराजे।
गौरी नंदन साथ,डढ़म डम डमरू बाजे।
कहती अनु शिव नाम,भाव से भरा समुंदर।
शिव है आदि अनंत, देवों में देव सुंदर।

(30)
धड़कन
धड़के धड़कन जोर से,धड़धड़ की आवाज।
जीवन जीता जीव जो, बजता दिल का साज।
बजता दिल का साज,बजे जीवन में सरगम।
धड़कन देती साथ,सुखों का रहता संगम।
कहती अनु सुन बात,उठो सब जागो तड़के।
करो सबेरे सैर,खुशी से दिल भी धड़के।

***अनुराधा चौहान***

2 comments:

  1. वाहः बेहतरीन कुंडलियां

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