Followers

Friday, July 12, 2019

संवाद से ज़हरीला मौन

संवाद से कहीं ज्यादा
जहरीला होता है मौन
मन में छुपी कड़वाहट
समझ पाया क्या कौन

गिले-शिकवे दूर हो जाते
संवाद जो दरमियान हो जाते
गलतफहमियों की दीवारें
ख़ामोशियाँ भला कैसे मिटाएँ

मेल-मिलाप प्रेम-संवाद से
रिश्तों की अहमियत बढ़ती
प्यार, तकरार, इकरार से ही
संबंधों की सुंदरता बढ़ती

मन में द्वेष जो रखते छुपाकर
मन ही मन सदा कष्ट हैं पाते
समझ नहीं पाते सच्चाई को
संवाद से जो रहते कतराते

अच्छा-बुरा जो भी है मन में
कहदो कभी न पालो मन में
साफ कहना खुश रहना सीखो
कड़वाहट से बचना सीखो

मन में कपट मुँह पर मीठा
इंसान ने यह गुर इंसान से सीखा
करते रहते भ्रम की दीवारें खड़ी
जब-तक चोट नहीं लगती तगड़ी

समय निकालो बैठो पास
कर लो मन की कुछ बातें ख़ास
अच्छा-बुरा जो भी हो मन में
मैल निकाल दो जो है अंतर्मन में
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

12 comments:

  1. समय निकालो बैठो पास
    कर लो मन की कुछ बातें ख़ास
    अच्छा-बुरा जो भी हो मन में
    मैल निकाल दो जो है अंतर्मन में।

    सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदयतल से आपका हार्दिक आभार सखी

      Delete
  2. नमस्कार !
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" 16 जुलाई 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सहृदय आभार मीना जी

      Delete
  3. मौन कभी कभी इतना लम्बा हो जाता है ... की हाथ भर की दूरी मीलों लम्बी हो जाती है ...

    ReplyDelete
  4. वाह!!सुंदर सृजन सखी ।

    ReplyDelete
  5. मन में द्वेष जो रखते छुपाकर
    मन ही मन सदा कष्ट हैं पाते
    समझ नहीं पाते सच्चाई को
    संवाद से जो रहते कतराते... बहुत खूब ल‍िखा है अनुराधा जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार अलकनंदा जी

      Delete
  6. वाहहहहह अति शानदार

    ReplyDelete