मातृभाषा हम सबकी हिंदी
ममता और दुलार है हिंदी
हिंदोस्ताँ की शान है यह
अब रहती मुरझाई-सी हिंदी
सौतन बनकर इंग्लिश रानी
सबके दिलों में छाई है इंग्लिश
अटपटे अपने बोलों से
सबके बीच समाई है इंग्लिश
बहना शब्द में प्यार बसा
रूखा-रूखा -सा यह सिस्
दिखाए अपनेपन की कमी
चढ़ा इंग्लिश का रंग तो
बाबूजी भी "डैड" हो गए
माँ,बनी मम्मी से"ममी"
हिंदी भाषा से मुँह मोड़कर
सॉरी कहकर चलती इंग्लिश
सीधी-सरल मन में उतरती
भारत माँ के भाल की बिंदी
साहित्य का शृंगार है हिंदी
आओ फिर से इसे संवारे
हम सबकी मातृभाषा हिंदी
हाय-बाय का शौक छोड़कर
नमस्कार रीति अपनाएं फिर
चरणस्पर्श बड़े-बुजुर्गों का
सिर्फ हाय से टरकाए न फिर
सिर्फ सिद्धांतों की बातों से भला
काम न कभी बना न बनने वाला
थोड़ी-थोड़ी कोशिश से ही
हिंदी बने फिर शीश का तारा
माना उन्नति के लिए जरूरी
इंग्लिश भाषा का है प्रयोग
पर बोलचाल की भाषा में
शब्दों के रूप न इससे तोड़ो
हिंदोस्ता की शान है यह
हम सबका सम्मान है हिंदी
अंग्रेजी की मार से सदा
हो रही है घायल हिंदी
उभरेगी फिर से एक दिन
बनकर कलम की तेज धार हिंदी
हो कितनी भी लहुलुहान पर
तलवार बन चमकती रहेगी
हमारी मातृभाषा है हिंदी
हम सबका मान है हिंदी
***अनुराधा चौहान***
हार्दिक आभार यशोदा जी
ReplyDeleteकाश ऐसा हो सके ... हिंदी अपने मुकाम पे पहुंचे ...
ReplyDeleteमाना इंग्लिश का अपना महत्त्व है पर अपनी भाषा अपनी माँ है ...
जाने कब होगा ऐसा ।
ReplyDeleteपर हम शुरू तो करें ।
जी हार्दिक आभार आदरणीया
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