प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
फूली अमराई
कोयलिया कूक उठी
कलियांँ चटकी
फुलवारी खिल उठी
फूलों पर हो रहा
भंवरों का गान
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
फूल उठी सरसों
आई ऋत मनभावन
पीली चूनर ओढ़ धरा
दिखलाती अपना यौवन
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
पेड़ों के झुरमुट से
झांकती धूप
झील के पानी में
दिखे तेरा ही रूप
याद तेरी तड़पाए
विरह की आग जलाए
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
मौसम बहारों का
ले आया ऋतुराज
देर न कर प्रिय आ जाओ
कहीं बीत न जाए मधुमास
***अनुराधा चौहान***
हिय में हूक उठी
फूली अमराई
कोयलिया कूक उठी
कलियांँ चटकी
फुलवारी खिल उठी
फूलों पर हो रहा
भंवरों का गान
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
फूल उठी सरसों
आई ऋत मनभावन
पीली चूनर ओढ़ धरा
दिखलाती अपना यौवन
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
पेड़ों के झुरमुट से
झांकती धूप
झील के पानी में
दिखे तेरा ही रूप
याद तेरी तड़पाए
विरह की आग जलाए
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
मौसम बहारों का
ले आया ऋतुराज
देर न कर प्रिय आ जाओ
कहीं बीत न जाए मधुमास
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 10 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी
Deleteदेर न कर प्रिय आ जाओ
ReplyDeleteकहीं बीत न जाए मधुमास
प्रिये से मिलन की आश ..............,बहुत मधुर और प्यारी रचना ,सादर स्नेह सखी
धन्यवाद सखी
Deleteबहुत सुन्दर अनुराधा जी !
ReplyDeleteउसका आना तो आशिक़/माशूक़ का दीवानापन ही तय करेगा -
'जज़्बए इश्क़ सलामत है तो इंशा अल्ला,
कच्चे धागे में चले आएँगे, सरकार बंधे.'
धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteवाह वाह वाह ¡सखी बहुत ही मनभावन।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी
Deleteबेहद आभार अमित जी
ReplyDeleteपेड़ों के झुरमुट से
ReplyDeleteझांकती धूप
झील के पानी में
दिखे तेरा ही रूप
याद तेरी तड़पाए
विरह की आग जलाए
आपकी यह कविता काफी अच्छी लगी। धन्यवाद।
आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह वाह
ReplyDeleteसहृदय आभार इंदिरा जी
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