जब मन उदास होता है
तब सोचता कुछ करता कुछ है
हम कहना कुछ चाहते हैं
पर कहने कुछ लगते हैं
ऐसा तब होता है
जब कोई अपना हमें
छोड़कर जाने लगता है
हम रोकना चाहते हैं
पर रोक नहीं पाते हैं
उस समय खुद को
बड़ा ही बेबस पाते हैं
किस्मत के आगे हम
मजबूर नजर आते हैं
तब दिल का दर्द
आँसू बन बह निकलता है
शब्द अंदर ही अंदर
दम तोड़ जाते हैं
संसार बेगाना-सा
लगने लगता है
पर फिर भी हर ग़म
पीकर जीना पड़ता है
अपनों के लिए दर्द में भी
हँसना पड़ता है
यही जीवन का दस्तूर है
जिसके आगे सब मजबूर हैं
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteपीकर जीना पड़ता है
ReplyDeleteअपनों के लिए दर्द में भी
हँसना पड़ता है
यही जीवन का दस्तूर है
जिसके आगे सब मजबूर हैं....बहुत सुन्दर सखी
सादर
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteसही लिखा अनुराधा जी | मिलना बिछुड़ना जीवन का शाश्वत सत्य है | सार्थक पंक्तियों के लिए हार्दिक शुभकामनायें सखी |
ReplyDeleteजीवन के इस दस्तूर को बाखूबी लिखा है ...
ReplyDeleteदर्द पी के जीना जीवन को असल मतलब देता है ...
धन्यवाद आदरणीय
Deleteजीवन का सत्य है...मिलना बिछुड़ना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह सखी¡
ReplyDeleteगहरा जीवन दर्शन देती सार्थक रचना।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार नीतू जी
Deleteवाह!!सुंदर अभिव्यक्ति सखी !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुभा जी
Deleteअपनों के लिए दर्द में भी
ReplyDeleteहँसना पड़ता है
यही जीवन का दस्तूर है
जिसके आगे सब मजबूर हैं...... बहुत सार्थक अभिव्यक्ति!!!!
सहृदय आभार आदरणीय
Deleteयही जीवन का दस्तूर है
ReplyDeleteजिसके आगे सब मजबूर हैं... सच है! wideangleoflife.com
धन्यवाद आदरणीय
Delete