वास्तविकता को परे रख
दिखावे की ज़िंदगी जीने वाले
भर लेते हैं जीवन में
काँटे हमेशा चुभने वाले
यथार्थ के पथ पर काँटे सही
पर मार्ग उम्मीदों भरा
खुशी के पल पग-पग मिले
जीवन में पग-पग संघर्ष भरा
दिखावे की कोशिश में दुनिया लगी
पाने की नियत में ज़िंदगी लगी
वास्तविकता को परे रखकर
मौत और विनाश के कगार आ खड़े
अब जरा डगमगाए तो गिरना
जमाने को पीछे छोड़ बढ़ना
हम श्रेष्ठ के चोले के पीछे
व्यर्थ विवादों के बुन ताने-बाने
जमाने को पीछे छोड़ बढ़ना
हम श्रेष्ठ के चोले के पीछे
व्यर्थ विवादों के बुन ताने-बाने
सोच ऊँची,कर्म हो सच्चे
मेहनत भरी हो ज़िंदगी,मन सच्चे
ज़िंदगी की वास्तविकता यही
पर ज़िंदगी अब छल-कपट से भरी
छाँव भी शीतल नहीं अब
धूप भी चुभती बहुत है
धूप भी चुभती बहुत है
कसक भेदती हरपल दिलों को
यह ज़िंदगी भी भला कोई ज़िंदगी
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
गहन भाव
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुंदर सखी! सार्थक भावों को उजागर करती रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी 🌹
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