चलो एक गीत लिखते हैं
जीवन संगीत लिखते हैं।
ऋतुएं है चार दिन की ढल जाएंगी
प्रीत की बातें हरपल याद आएंगी
चलो आज उन यादों को याद करते हैं
चलो एक गीत लिखते हैं
जीवन संगीत लिखते हैं।
बागों में झूले,झूले में सजनी
होठों पर दिल की थिरक रही रागिनी
सजनी के मन की प्रीत लिखते हैं
चलो एक गीत लिखते हैं
जीवन संगीत लिखते हैं।
जीवन संगीत लिखते हैं।
मधुमास ले आया बसंती हवाएं
सावन में सखियाँ कजरी सुनाएं
कार्तिक पे प्रेम के दीप जलते हैं
चलो एक गीत लिखते हैं
जीवन संगीत लिखते हैं।
कुहासे की चादर मौसम ने ओढ़ी
बीत चली साल यादें पीछे छोड़ी
टूटे न प्रीत के धागे ये फरियाद करते हैं
चलो एक गीत लिखते हैं
जीवन संगीत लिखते हैं।।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 08 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद यशोदा जी
Deleteवाह वाह बहुत सुंदर मनभावन गीत अनुराधा जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteवाह ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर गीत ... मनभावन ... प्राकृति के सौन्दर्य को निखारते हुए ...
धन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह्ह्ह्ह! बेहद खूबसूरत रचना।
ReplyDelete"...
चलो एक गीत लिखते हैं।
जीवन संगीत लिखते हैं।।
..."
धन्यवाद प्रकाश जी
Deleteमनभावन, आनन्द देने वाला गीत।
ReplyDeleteअतिसुन्दर।
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
जी मैंने पढ़ी आपकी रचना बहुत बढ़िया लिखा आपने 👌 मेरी रचना पर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteचलो एक गीत लिखते हैं'👌 बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां अपने सजाई है आपने इस गीतमाला में..
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों का संगम ।
ReplyDeleteसरस गीत सरस शब्दावली।