आज कल के रिश्ते
ओस की बूंदों जैसे
मतलब की धूप क्या लगी
मुरझा जाते हैं झट से
वजह यही है वक़्त नहीं है
रिश्तों की अहमियत नहीं है
देना चाहिए उनको वक़्त
आज-कल रहते हैं सब व्यस्त
रिश्तों बिना कैसी है ज़िंदगी
जीवन में नहीं मिलती खुशी
वक़्त निकालो अपनों के लिए
साथ रहो कुछ लम्हों के लिए
मिलकर देखो रिश्तों के संग
जिंदगी में बहुत खूबसूरत हैं रंग
रिश्तों के बिना सूना है जीवन
जूझता अकेलेपन से फ़िर मन
समय रहते रिश्तों में जी लो
थाम लो इन नाजुक बंधनों को
हमको रिश्ते देती भी जिंदगी है
हमसे रिश्ते लेती भी जिंदगी है
***अनुराधा चौहान***
Good one
ReplyDeleteहार्दिक आभार दी
Deleteसत्य वचन
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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