आया नवरात्रि का त्यौहार
बोलो मैया की जय-जयकार
सबके दुःख मिटाने वाली
दुर्गा है यह यही है काली
अंत भी इनसे आरंभ भी इनसे
यही है प्रकृति यही प्रलय भी
सौंदर्यवान करुणा की मूरत
नव रूपों की छटा अनुपम
असुर सदा तुमसे भय खाते
मां असुरों ने आज फिर घेरा
चारों ओर अंधकार घनेरा
अंधियारे को फिर से हटाने
मां आ जाओ फिर पाप मिटाने
रक्तबीज फिर जिंदा घूमते
बेटियों का जीना दूभर करते
जागो मां छोड़कर साधना
धरती का संताप हरो मां
फिर से तुम उद्धार करो मां
बोलो मिल कर सब जय जय मां
***अनुराधा चौहान***
बोलो मैया की जय-जयकार
सबके दुःख मिटाने वाली
दुर्गा है यह यही है काली
अंत भी इनसे आरंभ भी इनसे
यही है प्रकृति यही प्रलय भी
सौंदर्यवान करुणा की मूरत
नव रूपों की छटा अनुपम
असुर सदा तुमसे भय खाते
मां असुरों ने आज फिर घेरा
चारों ओर अंधकार घनेरा
अंधियारे को फिर से हटाने
मां आ जाओ फिर पाप मिटाने
रक्तबीज फिर जिंदा घूमते
बेटियों का जीना दूभर करते
जागो मां छोड़कर साधना
धरती का संताप हरो मां
फिर से तुम उद्धार करो मां
बोलो मिल कर सब जय जय मां
***अनुराधा चौहान***
बहुत अच्छी सामयिक प्रस्तुति
ReplyDeleteदुर्गोस्त्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!
आपको भी नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं कविता जी
Deleteभाव भीनी पुनीत स्तुति मां की बहुत सुंदर।
ReplyDeleteआपको भी शारदीय नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको भी नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं कुसुम जी बहुत बहुत आभार
Deleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अनिता जी नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/10/2018 की बुलेटिन, ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब की ७ वीं पुण्यतिथि “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को बुलेटिन का हिस्सा बनाने के लिए
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