छू लूं आकाश
बस इतनी सी चाहत है
उलझ गई जिंदगी
कई सारे रिश्तों में
कुछ पल खुद के लिए जिऊं
बस इतनी सी चाहत है
उम्र पार कर गई
जिंदगी के पड़ाव कई
कुछ अधूरे ख्वाब पूरा करूं
बस इतनी सी चाहत है
कर लूं कुछ खास
जब तक जिंदगी की शाम ढले
हो मेरी भी पहचान
बस इतनी सी चाहत है
***अनुराधा चौहान*
बहुत सुन्दर चाहत है आपकी, अति सुन्दर ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteबहुत सुंदर अनुराधा जी की अभिलाष ।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
धन्यवाद कुसुम जी
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