मनभावन ऋतु सावन आई
संग अपने खुशहाली लाई
चहुं ओर बिखरी हरियाली
हरियाली की देख के शोभा
मस्त मगन सब झूम उठे
देख के उनका यह नर्तन
थिरक उठी नन्ही बूंदें भी
चली पवन पुरवाई
गाए कोयल मतवाली
सुन कोयल की तान
दामिनी तड़ तड़ तड़के
दामिनी की तड़क से
सावन भी जम कर बरसे
चली नदियां इठलाती
मोर पपीहा नाच उठे
करने वसुंधरा का श्रृंगार
इंद्रधनुष निकल के आया
देख धरा की धानी चूनर
झरनों ने सुमधुर राग सुनाया
यह सुंदर छवि देख
तरुवर झूम के गाएं
विरहणी को यह संदेश सुनाएं
पिया मिलन की ऋतु आई
सखी पड़ गए झूले
सावन ऋतु आई
***अनुराधा चौहान***
संग अपने खुशहाली लाई
चहुं ओर बिखरी हरियाली
हरियाली की देख के शोभा
मस्त मगन सब झूम उठे
देख के उनका यह नर्तन
थिरक उठी नन्ही बूंदें भी
चली पवन पुरवाई
गाए कोयल मतवाली
सुन कोयल की तान
दामिनी तड़ तड़ तड़के
दामिनी की तड़क से
सावन भी जम कर बरसे
चली नदियां इठलाती
मोर पपीहा नाच उठे
करने वसुंधरा का श्रृंगार
इंद्रधनुष निकल के आया
देख धरा की धानी चूनर
झरनों ने सुमधुर राग सुनाया
यह सुंदर छवि देख
तरुवर झूम के गाएं
विरहणी को यह संदेश सुनाएं
पिया मिलन की ऋतु आई
सखी पड़ गए झूले
सावन ऋतु आई
***अनुराधा चौहान***
वाह सखी बहुत सुंदर, सरस सावन की मन भावन रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सखी 🙏
Deleteभावपूर्ण सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय जीवन जी
Deleteबहुत ही लाजवाब रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद लोकेश जी
DeleteWah kya kavita h man bhava tan savan wah .
Deleteधन्यवाद आदरणीय
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