Followers

Sunday, July 1, 2018

नन्ही सी चिरैया

(चित्र गूगल से संगृहीत)

उम्र थी उसकी छोटी सी
बच्ची थी वो इक नन्ही सी
आँखों में उसके चंचलता
थी बातें उसकी मोहक सी
पैरों में उसके पायल थी
वो छमक छमक कर चलती थी
न चिंता कोई फिकर उसे
न दुनिया की थी समझ उसे
उन्मुक्त गगन में उड़ने वाली
वह इक नन्ही सी चिरैया थी
उसको हैवानों ने देख लिया
पंजों में अपने जकड़ लिया
फूलों की नाजुक कली को
पल भर में मसल कर फेंक दिया
यह कैसी दुनिया जालिमों की
यहाँ बचपन भी महफूज नहीं
उनके करूण क्रंदन का
हैवानों पर कोई असर नहीं
यह वहशी जालिम हत्यारे
इनको जीने का कोई हक नहीं
***अनुराधा चौहान***

15 comments:

  1. बहुत ही मार्मिक ......!!

    ReplyDelete
  2. हृदय स्पर्शी रचना ।
    कब तक बाजों के पंजो मे चिरैया यूं दम तोडती रहेगी।
    बेहद चिंता का विषय।

    ReplyDelete
  3. जी सही कहा आपने यह बेहद चिंता का विषय है
    सादर आभार कुसुम जी

    ReplyDelete
  4. मर्मस्पर्शी रचना 🙏

    ReplyDelete
  5. धन्यवाद आदरणीय

    ReplyDelete
  6. चिंता का विषय....मर्मस्पर्शी रचना अनुराधा जी

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद आदरणीय भास्कर जी

      Delete
  7. शैतानों से भरी गली है, गुड़िया कहाँ खेलने जाए,
    या घर में घुट-घुट कर जी ले या बाहर जा, लौट न पाए.

    ReplyDelete
  8. दिल को छूती सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार ज्योती जी

      Delete
  9. मार्मिक चित्रण

    ReplyDelete