Followers

Monday, July 2, 2018

नारी का जीवन

(चित्र गूगल से साभार)
नारी का जीवन
जैसे नदिया की धारा
उनसे अपेक्षा का
नहीं कोई किनारा
बेटों को सीने से लगाते
उनको किनारा कर देते
बेटी पराया धन होती
यह सीख सदा उनको देते
प्यार सदा उनको मिलता
वह एहसास नहीं मिलता
उस घर को अपना कह सके
वह अधिकार नहीं मिलता
ब्याह कर के वह जब भी
अपने ससुराल जाती हैं
गृहलक्ष्मी बन कर भी
वह सम्मान न पाती हैं
सुबह से उठ कर काम करे
रखे सभी का खूब ख्याल
फिर भी बात बात में मिलता
उनको पराए होने का एहसास
नारी के जीवन की
यह कड़वी सच्चाई है
कितना भी समर्पण कर लें
फिर भी कहलाती पराई हैं
नारी बिना घर स्वर्ग नहीं
यह बात सभी स्वीकार करें
उनसे अपेक्षाएं रखते हो
उन्हें उनके अधिकार भी दें
**अनुराधा चौहान***

16 comments:

  1. धन्यवाद लोकेश जी

    ReplyDelete
  2. लाजवाब रचना
    "नारी बिना घर स्वर्ग नहीं
    यह बात सभी स्वीकार करें
    उनसे अपेक्षाएं रखते हो
    उन्हें उनके अधिकार भी दें"

    बेहद उम्दा संदेश 👌

    ReplyDelete
  3. आज के समय में नारी को पराया धर्म कहना ही ग़लत है ... बेटों से ज़्यादा अपने घर का रखती है ध्यान ...
    सुंदर रचना ...

    ReplyDelete
  4. सादर आभार आदरणीय

    ReplyDelete
  5. सुंदर यथार्थ दर्शन करवाती सार्थक रचना ।
    सब करने को सदा तत्पर नारी
    बस थोड़ा सम्मान चाहती अपनो की नजर मे नारी।
    अप्रतिम सुंदर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार कुसुम जी

      Delete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. शानदार रचना बहुत खूब

    ReplyDelete
  8. After a long time....a heart throbbing poem

    ReplyDelete
  9. आज मैं आपके ब्लॉग पर आया और ब्लोगिंग के माध्यम से आपको पढने का अवसर मिला 
    ख़ुशी हुई.

    ReplyDelete
  10. जान कर बहुत खुशी हुई आपको मेरी रचनाएं पसंद आई
    धन्यवाद आदरणीय

    ReplyDelete
  11. एक नारी अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों की जिंदगी बनाने में लगा देती है।
    आपकी रचना बहुत ही सुंदर है अनुराधा जी।।

    ReplyDelete