तीन रंग की ओढ़ के चूनर
लहराती ममता का आँचल
गंगा-यमुना इसकी बेटियाँ
बेटा इसका हिंद महासागर
हिमालय पहरेदार बना खड़ा
कश्मीर सिर का ताज बना
एकता-अखंडता इसका श्रृंगार
सभ्यता-संस्कृति गले का हार
तिरंगे की माँ को पहनाकर ओढ़नी
आजादी के मतवालों ने
धरती माँ की शान खातिर
तन-मन अपना वार दिया
वीर सपूतों ने अपने
जीवन का बलिदान दिया
देश की खातिर जान गंवाकर
तिरंगे में लिपटकर सो गए
पीछे छोड़ बिलखता परिवार
जान वतन के नाम कर गए
यह वीर जवान भारत माँ के
न झुके कभी न झुकने वाले
दिल में बसाए एक ही बात
तिरंगा है हमारा अभिमान
प्रतीक शक्ति का रंग केसरिया
संपन्नता का प्रतीक बना रंग हरा
आपस में सुख-शांति बनी रहे
सफेद रंग देता संदेश सदा
जीवन में सदा रहे गतिशीलता
कहता है नीले रंग का चक्र यही
हिल-मिलकर रहो सब साथ सदा
भेदभाव मिटाकर जात-पात का
भारत माता कहे अपने लाल से
इस तिरंगे की रखना शान सदा
***अनुराधा चौहान***
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ReplyDeleteआपने बहुत अच्छा लेखा लिखा है, जिसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
जी आपका हार्दिक आभार
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " गुरुवार 15 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहतरीन सृजन दी 👌|देश प्रेम को बहुत ही निराले ढ़ग से सहेजा है आप ने रचना में |
ReplyDeleteसादर
सहृदय आभार सखी
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