पानी से जीवन हँसे,
पानी से प्रकृति सजे।
पानी जीवन की मुस्कान,
पानी ही ले-लेता जान।
पानी नहीं तो त्राहि-त्राहि,
पानी-पानी तो त्राहि-त्राहि।
पानी जीवन,पानी मृत्यु,
पानी बिन न चले संसार।
घन नहीं बरसे तो मन तरसे,
घन जोर से बरसे,मन हर्षे।
पानी-पानी अंदर बाहर,
जन-जन पानी को कोसे।
मुश्किलों के बीच जीवन से प्रीत,
पानी के बीच बचपन और जीव।
बहा घर-द्वार नदी की धारा,
ढूँढतीं फिरें ज़िंदगियाँ आसरा
बिखरते सपनें निहारे नयन,
कुदरत के आगे असहाय बैठ।
वर्षा प्रकोप बनकर बरसी,
ज़िंदगी आसरे को तरसती।
अपना महत्व बताए पानी
अपना क्रौध दिखाए पानी
पानी जीवन का आधार है
पानी ही है मौत का द्वार
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 04 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार यशोदा जी
Deleteपानी के दोनो पहलू को बहुत ही बेहतरीन ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया है।
ReplyDeleteपानी जीवन दाई है तो संहारक भी बन जाता है
ReplyDeleteअद्भुत लीला है सृजन हार की ।
सार्थक सृजन ।
हार्दिक आभार सखी
Deleteपानी का हर पहलू लिखा है ... पर ये सच है पानी जीवन है ... हाँ उसको संजोना लोगों काम है ...
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