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Saturday, August 3, 2019

पानी-पानी

पानी से जीवन हँसे,
पानी से प्रकृति सजे।
पानी जीवन की मुस्कान,
पानी ही ले-लेता जान।

पानी नहीं तो त्राहि-त्राहि,
पानी-पानी तो त्राहि-त्राहि।
पानी जीवन,पानी मृत्यु,
पानी बिन न चले संसार।

घन नहीं बरसे तो मन तरसे,
घन जोर से बरसे,मन हर्षे।
पानी-पानी अंदर बाहर,
जन-जन पानी को कोसे।

मुश्किलों के बीच जीवन से प्रीत,
पानी के बीच बचपन और जीव।
बहा घर-द्वार नदी की धारा,
ढूँढतीं फिरें ज़िंदगियाँ आसरा

बिखरते सपनें निहारे नयन,
कुदरत के आगे असहाय बैठ।
वर्षा प्रकोप बनकर बरसी,
ज़िंदगी आसरे को तरसती।

अपना महत्व बताए पानी
अपना क्रौध दिखाए पानी
पानी जीवन का आधार है 
पानी ही है मौत का द्वार
***अनुराधा चौहान***

चित्र गूगल से साभार

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 04 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    Replies
    1. हार्दिक आभार यशोदा जी

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  2. पानी के दोनो पहलू को बहुत ही बेहतरीन ढ़ंग से प्रस्तुत किया गया है।

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  3. पानी जीवन दाई है तो संहारक भी बन जाता है
    अद्भुत लीला है सृजन हार की ।
    सार्थक सृजन ।

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  4. पानी का हर पहलू लिखा है ... पर ये सच है पानी जीवन है ... हाँ उसको संजोना लोगों काम है ...

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