रख लिया है
सहेज कर मैंने
सहेज कर मैंने
इन बहकती नज्मों में
उन हसीन पलों की यादें
तेरी वो शोख अदाएं
महकती हैं ग़ज़ल बनकर
फूलों से झरते बोल तेरे
गीत बन सजते होंठों पर
रख लिया है
सहेज कर मैंने
सहेज कर मैंने
मैंने चंद मुलाकातों को
सरगम-सी बजती जब
चूड़ियाँ खनकें तेरे हाथों में
पायल की छम-छम
बना देती थी दीवाना
मेरे मन के जज़्बातों को
रख लिया है
सहेज कर मैंने
सहेज कर मैंने
मैंने उन अनकही बातों को
मन के तारों को झंकृत करती
बेचैन करती हर रातों को
तन्हाइयों में डूबे मेरे गीत
तेरी आने की आहट लिए
अब तो गुजरते मेरे दिन-रात
तेरी यादों को साथ लिए
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
हसीं पल, चंद मुलाकातें ... रह जाती हैं यही जीवन भर के लिए ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteहृदयस्पर्शी भावनाएँ। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार प्रकाश जी
Deleteभाव पूर्ण रचना
ReplyDeleteसहेजी हुई यादों की अनमोल थाती जीवन के हरेक पल को सुहाने एहसासों से भर जाती है | ह्रदय स्पर्शी रचना प्रिय अनुराधा जी | सस्नेह शुभकामनायें |
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteरख लिया है
ReplyDeleteसहेज कर मैंने
इन बहकती नज्मों में
उन हसीन पलों की यादें
तेरी वो शोख अदाएं
महकती हैं ग़ज़ल बनकर
फूलों से झरते बोल तेरे
गीत बन सजते होंठों पर
रख लिया है
सहेज कर मैंने...
खूब चली है आपकी लेखनी। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
हार्दिक आभार आदरणीय
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