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Saturday, August 24, 2019

यादें

रख लिया है
सहेज कर मैंने
इन बहकती नज्मों में
उन हसीन पलों की यादें
तेरी वो शोख अदाएं
महकती हैं ग़ज़ल बनकर 
फूलों से झरते बोल तेरे
गीत बन सजते होंठों पर
रख लिया है
सहेज कर मैंने
मैंने चंद मुलाकातों को
सरगम-सी बजती जब
चूड़ियाँ खनकें तेरे हाथों में
पायल की छम-छम
बना देती थी दीवाना
मेरे मन के जज़्बातों को
रख लिया है
सहेज कर मैंने
मैंने उन अनकही बातों को
मन के तारों को झंकृत करती
बेचैन करती हर रातों को
तन्हाइयों में डूबे मेरे गीत
तेरी आने की आहट लिए
अब तो गुजरते मेरे दिन-रात
तेरी यादों को साथ लिए
***अनुराधा चौहान***

चित्र गूगल से साभार

9 comments:

  1. हसीं पल, चंद मुलाकातें ... रह जाती हैं यही जीवन भर के लिए ...
    सुन्दर रचना ...

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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  2. हृदयस्पर्शी भावनाएँ। सुन्दर रचना।

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    1. हार्दिक आभार प्रकाश जी

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  3. सहेजी हुई यादों की अनमोल थाती जीवन के हरेक पल को सुहाने एहसासों से भर जाती है | ह्रदय स्पर्शी रचना प्रिय अनुराधा जी | सस्नेह शुभकामनायें |

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  4. रख लिया है
    सहेज कर मैंने
    इन बहकती नज्मों में
    उन हसीन पलों की यादें
    तेरी वो शोख अदाएं
    महकती हैं ग़ज़ल बनकर
    फूलों से झरते बोल तेरे
    गीत बन सजते होंठों पर
    रख लिया है
    सहेज कर मैंने...
    खूब चली है आपकी लेखनी। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय

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