जन्म लेते ही शुरू होती
जीवन की कठिन यात्रा
चार लोगों से रिश्ते में बंधे
घर में संस्कारों को संमझते
सीख लेने ज़िंदगी की
पहली बार घर से निकल
गुरुकुल की और कदम बढ़ा
धीरे-धीरे जीवन को समझ
आगे बढ़ते जाते
हमारी इस जीवन यात्रा में
जुड़ते कई यादगार पल
कुछ नये रिश्ते बनते
कई दोस्त प्रिय बन जाते
कई अनुभवों से होकर
गुजरती जीवन यात्रा
कुछ बेहद कड़वे
कठिनाइयों से भरे
रास्तों से गुजरते हुए
साथ मिलता हमसफ़र का
खुशियों से झूमते
तो कभी लड़ते-झगड़ते
हर परिस्थिति में साथ निभाते
नयी ज़िंदगियों को संवारते
ज़िंदगी के अंतिम
मुकाम पर पहुँचकर
तजुर्बों की पोटली खोलकर
नयी पीढ़ी को सही राह दिखाते
जब प्रभू संदेश आता
तो सब-कुछ पीछे छोड़
अनंत यात्रा पर निकल जाते
फिर से एक नये सफर के लिए
***अनुराधा चौहान***