खून-पसीना एक करके
तिनका-तिनका जोड़ा
प्यारा सा सुंदर घरौंदा
अपनों ने ही तोड़ा
हाथों से सहला दुलराते
दीवारों को सजाया
भरा प्रेम का रंग अनोखा
रिश्तों के संग बसाया
कल तक गोद में रहते सिमटे
भूल गए वो बालक
आज बिखरते रिश्ते सारे
बोझ बने हैं पालक
रुला रहे हैं खून के आँसू
अब अपने ही जाए
बूढ़ी होती दुर्बल काया
कहीं ठौर न पाएं
कलयुग की यह कैसी लीला
औलाद पिता पर भारी
जीते जी माँ की छाती पर
संतान चला रही आरी
करनी कुछ कथनी है झूठी
सोशल मीडिया दिखाते
लाइक कमेंट का शौक लगाए
झूठी सेल्फी सजाते
सच यही इस जीवन का
बाकी सब छलावा
मात-पिता को प्रेम के बदले
मिलता है सदा दिखावा।
©®अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित ✍️
चित्र गूगल से साभार