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Friday, February 10, 2023

जीवन का सच

फागुन जब लेता अँगड़ाई,पुरवाई तब महके।
पीली पीली सरसों फूली,देख उसे मन चहके॥खिलती कलियाँ झरते पत्ते,पतझड़ भी मनभाए।रंगों का अब मौसम आया,पुरवा गीत सुनाए॥

फाग महीना धूम मचाए,रंग खुशी के बरसे।
पिया मिलन की आस लगाए,प्रीत न कोरी तरसे॥
नवपल्लव डालों पर झूमे, लेकर मीठीं किस्से।
कल तक जो लहराते पत्ते,अब माटी के हिस्से॥

मधुमास बना चढ़ता यौवन, प्रेम के गीत सुनाता।
जीवन फिर ढलती काया ले,पत्ते सा झड़ जाता॥
यह जीवन की रीत पुरानी,मानो या मत मानो।
प्रेम बिना यह जीवन सूना,सच जीवन का जानो॥

अनुराधा चौहान 'सुधी'स्वरचित