मेरी बातों को दोहराए
संग मेरे वो हँसता रोता
का सखि साजन... ? ना सखि तोता।
मन को मेरे अति हर्षाता
प्यासे तन की प्यास बुझाता
जिसका रूप लगे मनभावन
का सखि साजन...?ना सखि सावन।
बगिया में वो फूल खिलाता
चुन-चुन कलियाँ हार बनाता
देख जिसे झूमे हर डाली
का सखि साजन...?ना सखि माली।
मन की गहराई में जाता
जो सच है बाहर ले आता
झूठे मनका करता तर्पण
का सखि साजन...?ना सखि दर्पण।
सुबह-सुबह से मुझको छेड़े
घर की छत पर मुझको घेरे
छूने से जुल्फें लहराई
का सखि साजन...?ना सखि पुरवाई।
मेरे आगे-पीछे डोले
लगता है मुझसे कुछ बोले
मेरे मन को है अति भाया
मेरे मन को है अति भाया
का सखि साजन...?ना सखि साया।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
चित्र गूगल से साभार