Followers

Monday, February 3, 2020

शिव स्तुति

ललाट भी विशाल है,गले भुजंग नाग है।
तरंग शीश गंग की,त्रिनेत्र लाल आग है।।

किरीट चंद्र शोभता,शुभा सती समीप है।
गणेश भी बसे वहाँ,जले जहाँ प्रदीप है।।

त्रिलोकिनाथ देव ये,कठोरता निवास है।
शिवा बने दयाल हैं,सती समीप वास है।।

बहाव वेग गंग का,लपेट के जटा धरी
घमण्ड भाव बोलती,धरा गिरूँ छटा भरी।।

शिवा सदा करो दया,करूण ये पुकार है।
पुकारते शिवा शिवा,शिवा खड़े अकार है।।

विराट रूप ये धरे,प्रतीक रोद्र रूप हैं।
अनादि भी अनंत भी,प्रकाश का स्वरूप है।।
***अनुराधा चौहान***
पञ्चचामर छंद
वार्णिक छंद चार चरण के इस छंद में 8 लघु 8 गुरु, कुल 16 वर्ण होते हैं चरणान्त सम होना चाहिए
मात्रा भार- 1212121212121212
चित्र गूगल से साभार

23 comments:

  1. अद्भुत अद्वितीय अप्रतिम सृजन सखी 👌👌👌👌

    ReplyDelete
  2. वाह!!सखी ,अद्भुत!!

    ReplyDelete
  3. . वाह अद्भुत सृजन भगवान शिव की स्तुति इससे पहले इतनी शानदार नहीं देखी बहुत अच्छा लिखा आपने

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर सृजन, अनुराधा दी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार ज्योति जी

      Delete
  5. अनादि भी अनंत भी,प्रकाश का स्वरूप है।।
    अपने आराध्य की इतनी सुंदर स्तुति से अभिभूत हो गया हृदय, आपकी लेखनी को नमन दी।

    ReplyDelete
  6. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-02-2020) को "हिन्दी भाषा और अशुद्धिकरण की समस्या" (चर्चा अंक 3606) पर भी होगी।

    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।

    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है

    ReplyDelete
  7. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

      Delete
  8. वाह !! शिव जी की अदभुत प्रार्थना सखी ,सादर

    ReplyDelete
  9. महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय

      Delete
  10. हार्दिक आभार सखी

    ReplyDelete
  11. जय शिवशंकर, जय भोलेनाथ
    बहुत सुन्दर सृजन 👏 👏 👏

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार सुधा जी

      Delete
  12. बहुत ही भावपूर्ण स्तुति👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏ॐ नमः शिवाय🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete