विश्वास सदा मन वास करे
आशा के दीप जलाना।
फैलाना जग में उजियारा
अँधियारा दूर भगाना।
कंटक पथ पे वीर चले थे
मन भारत की शान लिए।
कड़ी चुनौती से टकराए
कभी नहीं भयभीत जिए।
अपनी धरती का मान बढ़े
यही राह है दिखलाना।
विश्वास....
वीर सपूतों की जननी ने
पग पग पे संग्राम सहे।
जात पात के झगड़े लेकर
मर्यादा के बाँध ढहे।
जात पात के बंधन तोड़ो
सीख यही है सिखलाना।
विश्वास...
कुंठा मन में वास करे तो
सद्भावों को खाती है।
आपस में मानवता लड़ती
प्रीत खोखली जाती है।
कष्ट सही रोई जब जननी
वीर ढाल बन के आना।
विश्वास...
सदमार्ग पर आगे बढ़ना
निर्बल को संबल देना।
उन्नत भारत की जय गूँजे
सकल विश्व में प्रण लेना।
पाँचजन्य सी शंख नाद कर
वीर भारती बढ़ जाना।
विश्वास....
***अनुराधा चौहान'सुधी'***
चित्र गूगल से साभार
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार(14-08-2020) को "ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो" (चर्चा अंक-3793) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार सखी
Deleteआमीन ... आशा और विश्वास के दीप घर घर जालों ....
ReplyDeleteदेश आगे बढे ...
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत ही सुंदर रचना जय हिंद जय भारत
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteवाह !बहुत ही सुंदर सखी।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत ही सुंदर,काश ऐसी कोई तकनीक होती तो प्रेम के बीज भी बो दिए जाते,सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
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