चाँद खिला अम्बर के आनन
देख सुहागिन हर्षाती।
चूड़ी,बिंदी पायल खनकी
माथे सिंदूर सजाती।
पहन ओढ़नी करती पूजा
सौभाग्य सदा अमर हो।
खुशबू से महके घर आँगन
सदा सुहागिन का वर दो।
सुन बसंत की आहट जैसे
कोयल भी गीत सुनाती
चाँद खिला अम्बर……
महकी हाथों की मेहंदी
बालों में गजरा महका।
माँग सजाए मंगल टीका
चंदा का मन भी चहका।
रचा महावर चली सुहागिन
खुशियों से फिर इठलाती।
चाँद खिला अम्बर……
करवाचौथ दिवस यह पावन
गीत गूँजते घर-घर में।
खुशियाँ सबकी झोली भर दो
दीप लिए गाती कर में।
अर्घ्य चढ़ाएं मंगल गाएं
छलनी से दीप दिखाती
चाँद खिला अम्बर……
*©®अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 5 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसुन्दर लेखन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया दी
Deleteचाँद खिला अंबर ..... बहुत सुंदर जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद शुभम् जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteलाजवाब नवगीत..।
महकी हाथों की मेहंदी
बालों में गजरा महका।
माँग सजाए मंगल टीका
चंदा का मन भी चहका।
रचा महावर चली सुहागिन
खुशियों से फिर इठलाती।
चाँद खिला अम्बर……
बहुत सुन्दर मनभावन।
हार्दिक आभार सखी
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