कभी सरगम है गाती
कभी हंसती मुस्कुराती
पल में रंग बदलती जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
खुशियों के रंग भरती
कभी फूलों सी खिलती
कभी शूलों सी चुभती
कभी पतझड़ सी झड़ती
अपने रुप दिखाती जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
अपनी रफ्तार भागती
कभी सागर सी उफनती
कभी नदियों सी मचलती
कभी झरने सी झरती
रेत सी फिसले यह जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
सुख-दुख के खेल दिखाती
कभी टूट कर बिखरती
कभी उठ कर संभलती
किसी मोड़ पर है जा रुकती
बड़ी धोखेबाज है जिंदगी
जिंदगी तो जिंदगी है
अपने कर्त्तव्य निभाती
***अनुराधा चौहान***
बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा आप ने
ReplyDeleteअंदाज़ अच्छा लगा।
बहुत बहुत आभार नीतू जी
Deleteसही लिखा है ... जिंदगी ऐसी ही है ... जो चाहती है वैसे रूख मोड़ देती है ...
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteकभी टूट कर बिखरती
ReplyDeleteकभी उठ कर संभलती
किसी मोड़ पर है जा रुकती
बड़ी धोखेबाज है जिंदगी.... सही है बड़ी धोखेबाज है जिन्दगी , सुंदर रचना
बहुत बहुत आभार आपका
Deleteजिंदगी तो जिंदगी है... सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteवाह मित्र जी जिंदगी को कितनी गहराई तक उतर कर बयां किया है।
ReplyDeleteअति सुंदर काव्य।
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteबहुत खूब अनुराधा जी।ये जो जिंदगी की किताब हैं बहुत खूबसूरत किताब हैं।बहुत suprizes हैं इसमे
ReplyDeleteकभी फूलों सी खिलती
कभी शूलों सी चुभती
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteजिंदगी उतार दी भावो मे.
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबेहद सुंदर ज़िंदगी का फ़लसफा...शब्दों की बुनावट और भाव भी बहुत सुंदर है अनुराधा जी।
ReplyDeleteधन्यवाद श्वेता जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना 👌👌
ReplyDeleteजिन्दगी के उतार-चढ़ाव के विविध रूपों का सुंदर सृजन अनुराधा जी ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
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