माया माया करते करते
माया मिली न चैन
तृष्णा के भँवर में फसकर
मन हो गया बैचेन
मन होवे बैचेन
चैन अब कहां से पाएं
एक तृष्णा मिटी नहीं
दूजी फिर जग जावे
गले पड़ी है तृषणाएं
लिए हाथ कटारी
पूरी करते करते इनको
सब भूले दुनियादारी
अब झोला लेलो हाथ
या फिर हाथ कमंडल
तृष्णा पीछा न छोड़ें
घूम लो पूरा भूमंडल
तिनका तिनका जोड़ कर
कितना भी भरो खजाना
खाली हाथ आए जग में
हाथ खाली ही जाना
जिस दिन सत्य का ज्ञान
मनुष्य को होवे भैय्या
तब भवसागर से तरेगी
उसकी जीवन नैय्या
***अनुराधा चौहान***
माया मिली न चैन
तृष्णा के भँवर में फसकर
मन हो गया बैचेन
मन होवे बैचेन
चैन अब कहां से पाएं
एक तृष्णा मिटी नहीं
दूजी फिर जग जावे
गले पड़ी है तृषणाएं
लिए हाथ कटारी
पूरी करते करते इनको
सब भूले दुनियादारी
अब झोला लेलो हाथ
या फिर हाथ कमंडल
तृष्णा पीछा न छोड़ें
घूम लो पूरा भूमंडल
तिनका तिनका जोड़ कर
कितना भी भरो खजाना
खाली हाथ आए जग में
हाथ खाली ही जाना
जिस दिन सत्य का ज्ञान
मनुष्य को होवे भैय्या
तब भवसागर से तरेगी
उसकी जीवन नैय्या
***अनुराधा चौहान***
सच तृष्णा किसकी मिटी है।
ReplyDeleteसार्थक व सुंदर
धन्यवाद आदरणीय
Deleteबेमिसाल प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर
धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteतिनका तिनका जोड़ कर
ReplyDeleteकितना भी भरो खजाना
खाली हाथ आए जग में
हाथ खाली ही जाना
जिस दिन सत्य का ज्ञान
मनुष्य को होवे भैय्या
तब भवसागर से तरेगी
उसकी जीवन नैय्या।।
बहुत ही सुंदर। कुंडलियों का आंशिक स्वाद देती सार्थक रचना। वाह
जी बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteवाह
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने अनुराधा जी
कितना भी भरो खजाना
खाली हाथ आए जग में
हाथ खाली ही जाना
जिस दिन सत्य का ज्ञान
मनुष्य को होवे भैय्या
तब भवसागर से तरेगी
उसकी जीवन नैय्या
धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteआध्यात्मिक सी सटीक भाव रचना ।
ReplyDeleteधन्यवाद कुसुम जी
DeleteWah bahut sunder rachana
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
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