भूले से कभी भूल हो
तो भूल नहीं जाना।
साथी मेरे जन्मों के
मेरा साथ निभाना।
इस दिल की गहराई में
बस धड़कन ये कहती।
बदले मौसम तुम बदले
ये पायल भी कहती।
हौले बहती पुरवाई
नवगीत गुनगुनाना।
भूले से कभी भूल हो
तो भूल नहीं जाना।
साथी मेरे जन्मों के
मेरा साथ निभाना।
चूड़ी खनकी खन से ये
बिंदिया है दमकती।
सुन-सुन ये बातें सखियाँ
छुप-छुपकर हैं हँसती।
पलछिन बीते दिन रातें
सुन के नया बहाना।
भूले से कभी भूल हो
तो भूल नहीं जाना।
साथी मेरे जन्मों के
मेरा साथ निभाना।
छोटी-छोटी बातों को
मन में कभी न रखना।
जीवन में कड़वे-मीठे
अनुभव सब हैं चखना।
मन में कोई बाते ले
यूँ हीं रूठ न जाना।
भूले से कभी भूल हो
तो भूल नहीं जाना।
साथी मेरे जन्मों के
मेरा साथ निभाना।।
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
छोटी-छोटी बातों को,
ReplyDeleteमन में कभी न रखना।
जीवन में कड़वे-मीठे,
अनुभव सब हैं चखना।
मन में कोई बाते ले,
यूँ हीं रूठ न जाना।
भूले से कभी भूल हो,
तो भूल नहीं जाना।
बहुत सुंदर मनभावन सृजन सखी , सादर नमन
हार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत गहरी बात आपने गीत के माध्यम से कह दी👏👏👏👏👏👏सुन्दर गेयता लिए हुये एक आदर्श नवगीत👌👌👌👌
ReplyDeleteप्रेम भाव और मन की कोमल भावनाओं के साथ बनी सुंदर रचना ... दिल में उतरती हुई ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteआप बिम्ब और प्रतीक के माध्यम से सपाट कथन से बचते हुए सुंदर सृजन कर रही हैं बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (20-03-2020) को महामारी से महायुद्ध ( चर्चाअंक - 3646 ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
आँचल पाण्डेय
सही है,
ReplyDeleteसाजन का रूठना बैचैन कर देता है.
थोड़ी सी या पल भर की दूरी सही नही जाती.
सचे प्रेम में ही गिले शिकवे होते हैं...ये बात जान जाये वो ही सचा प्रेम होता है.
लाजवाब.
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteMere blog par aapka swagat hai.....
वाह बहुत सुंदर लेखन अनुराधा जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteजीवन में कड़वे-मीठे,
ReplyDeleteअनुभव सब हैं चखना।
मन में कोई बाते ले,
यूँ हीं रूठ न जाना।
भूले से कभी भूल हो,
तो भूल नहीं जाना।
बहुत सुन्दर सृजनात्मकता सखी 👌👌👌👌
धन्यवाद सखी 🌹
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