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Wednesday, September 1, 2021

पिपासा


 पिपासा ज्ञान की मन में,विधाता आज तुम भर दो।
अँधेरा दूर हो जाए,कृपा ऐसी जरा कर दो।
मिटे मन मैल भी सारे,करे कुछ काम हम ऐसा।
मिटे हर लालसा मन से,विधाता आज यह वर दो।

चलें सच के सदा पथ हम,बुराई छोड़ जब पीछे।
भरे जीवन उजालों से,अँधेरे त्याग सब पीछे।
कृपा से आपकी कण्टक,हटाए हैं सभी पथ के।
उजाले ज्ञान के उत्तम, हटाते भार तब पीछे।

भरोसे आपके बढ़ते,विधाता साथ तुम रहना।
जला मन दीप सुखकारी,बने विश्वास ही गहना।
हटे दुख की तभी बदली,खिलेगी धूप आशा की।
घनी काली निशा में भी,नहीं पीड़ा पड़े सहना।

तुम्हारा हाथ हो सिर पर,हटे हर बोझ फिर मन से।
चलें सच राह तब तक हम,मिटेगी साँस जब तन से
मिटे हर लालसा मेरी,कृपा ऐसी दिखाना तुम।
करेंगे हम सभी मिलके,बुराई दूर जीवन से

©® अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित
चित्र गूगल से साभार