हर गाँव,गली,शहर
हो रहे नये
अविष्कार
अविष्कार
ज्ञान के प्रकाश से
रच रहे नये कीर्तिमान
रच रहे नये कीर्तिमान
परिवर्तन
की लहर में
की लहर में
ऊँचाईयों को छूता
भारत
भारत
मंगल तक
पहूँच गए यान
पहूँच गए यान
मानव के यह काम महान
परिवर्तन
की लहर में
की लहर में
दम तोड़ती शराफ़त
भ्रष्ट्राचारियों का
बढ़ रहा है साम्राज्य
सच्चाई मरती
बढ़ रहा है साम्राज्य
सच्चाई मरती
जनता का जीना दुश्वार
परिवर्तन
की लहर में
की लहर में
रिश्तों पर हुआ असर
मरते रिश्ते
मरते रिश्ते
सिमटते परिवार
जरा-सी बात पर होते तलाक
जरा-सी बात पर होते तलाक
कम हो रहा आपसी प्यार
परिवर्तन
की लहर में
चढ़ती संस्कारों की बलि
की लहर में
चढ़ती संस्कारों की बलि
पाश्चात्य संस्कृति
पाँव पसार रही
पाँव पसार रही
घर के संस्कारों को बाहर निकाल
परिवर्तन
की लहर में
की लहर में
इंसानियत पर हावी
हैवानियत
हैवानियत
मानवता भूल हैवान बना
इंसान के बढ़ते कुकर्म
इंसान के बढ़ते कुकर्म
मासूम कलियों के लेते प्राण
***अनुराधा चौहान***