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Tuesday, May 28, 2019

प्रदूषण का दानव

प्रदूषण बना दानव
लील रहा है शुद्ध हवा
घोल रहा उसमें जहर
नदियों की निर्मल धारा छीन
धकेल रहा दलदल की ओर
प्रदूषण के भय से हो रहा
पर्यावरण असंतुलित 
ओजोन परत छलनी हो रही
बदले हैं मौसम ने मिज़ाज
प्रदूषण के दानव से अब
काँप उठी है धरा 
ग्लेशियर पिघलते हुए
अपना अस्तित्व खो रहे
कट रहे हैं जंगल
पक्षी बनते जा रहे इतिहास
प्रदूषण के दानव से
कब तक बचने का करोगे प्रयास
धकेल रहे हैं हम खुद
खुद इस महादानव की और
इसकी गिरफ्त में आकर
भूलें सब दुनियादारी
सुख-सुविधाओं के नाम पर
खुद बुलाई अपनी बरबादी
अब शायद ही कभी
आएगा शुद्ध हवाओं का दौर
और कभी पहले जैसी सुहानी भोर
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

17 comments:

  1. सामायिक भयावह सत्य उजागर करती सुंदर रचना ।

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  2. आयेगा शुद्ध हवाओं का दौर
    और कभी पहले जैसी सुहानी भोर
    सत्य होंगे वचन तुम्हारे सखी बहुत खूब

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  3. सहृदय आभार सखी

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  4. बहुत खूब सखी !! प्रदूषण नामक दानव से मिलकर लडना होगा ।

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  5. बहुत ही सुन्दर सृजन प्रिय सखी
    सादर

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ३ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. हार्दिक आभार श्वेता जी

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  7. बहुत सुंदर रचना अनुराधा बहन। बेहतरीन

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    Replies
    1. हार्दिक आभार प्रिय सुजाता बहन

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