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Monday, May 6, 2019

शक्ति

शक्ति
 विश्वास की
प्यार के एहसास की
हमें नहीं झुकने देती
ज़िद के आगे तूफ़ान की
शक्ति 
परिवार की
एकता के आधार की
कभी नहीं बहने देती
नफ़रत के सैलाब में
शक्ति 
शिक्षा की
हमारे आत्मज्ञान की
कभी नहीं हटने देती
हमको अपने ईमान से
शक्ति 
मानव धर्म की
सबसे अलग रखती
मिट जाए भले तन
दिलों में जिंदा रखती
शक्ति 
मित्रता की
बनती हमेशा ढाल
धूप हो या बारिश
बनकर रहती साया साथ
शक्ति 
धर्म की
सबको जोड़ती
जब होता दुरुपयोग
तो समाज को तोड़ती
शक्ति 
प्यार की
सबको गले लगाए
पिघलाए पत्थर दिल भी
मोम-सा नरम बनाए
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

8 comments:

  1. वाह !
    बहुत ही सुंदर सृजन

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    1. धन्यवाद रवीन्द्र जी

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  2. बेहतरीन रचना सखी,सादर स्नेह

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 8 मई 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    Replies
    1. सहृदय आभार पम्मी जी

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  4. बेहतरीन प्रिय सखी
    सादर

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