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Thursday, May 9, 2019

अस्तित्व नारी का

बेटी बनकर पैदा होती
ममता दुलार भी पाती
शिक्षा का हक़ भी पाती
पर जीती है बंधन में बंधी 
क्योंकि अस्तित्व नारी का है
यह कोई भुला ना पाए
उन्नति के शिखर पर
सदा रहती अग्रसर
पर कहीं अंदर ही अंदर
अपने वज़ूद को ढूंँढती
पत्नी बनकर आती
पति की ज़रूरतें पूरी कर
नौकरी के साथ घर को सँभाले
क्योंकि अस्तित्व नारी का है
यह कोई भुला ना पाए
माँ बनकर ममता लुटाए
खुद को भूलकर बच्चों को सँभाले
जागे रातभर उनकी तकलीफ़ पर
सुबह होते ही जुट जाए फ़िर से काम पर
क्योंकि अस्तित्व नारी का है
यह कोई भुला ना पाए
गुजरते वक़्त के साथ-साथ
बुढ़ी हो जाती है नज़र
सहती अवहेलना बिस्तर पर पड़ी
ज़िंदगी गुज़ारी जिन रिश्तों को संवारते
वही अब उसके वज़ूद को नकारते
क्योंकि अस्तित्व नारी का है
यह कोई भुला ना पाए
गुज़र जाती ज़िंदगी
दूसरों को खुश करते-करते
फ़िर भी पराएपन का एहसास लिए
अपने वज़ूद को ढूंँढती
क्योंकि अस्तित्व नारी का है
यह कोई भुला ना पाए
***अनुराधा चौहान***

11 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर सखी
    सादर

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  3. बहुत सुन्दर अनुराधा जी !
    लेकिन अब समय आ गया है कि स्त्री अपने उद्धार के लिए अहल्या की भांति किसी राम की चरण-धूलि की प्रतीक्षा न करे अपितु स्वयं का अपने ही प्रयास से उद्धार करे और इस - 'बेचारी स्त्री' की छवि से भी स्वयं को मुक्त करे.

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    1. जी आभार आदरणीय.....!स्त्री जिस प्रकार दिन पर दिन कामयाबी की बुलंदियों को छू रही है अपना अस्तित्व बनाए रखने की कोशिश में लगी है वह लाख कोशिश कर ले पर हमारे समाज में आज़ भी उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाती है वह बेचारी नहीं पर उसको फ़िर भी कमज़ोर समझा है,कभी आज़ादी पर सवाल तो कभी पहनावे पर सवाल क्योंकि अस्तित्व नारी का है जो कोई भुला नहीं सकता

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  4. दूसरों को खुश करते-करते
    फ़िर भी पराएपन का एहसास लिए
    अपने वज़ूद को ढूंँढती
    क्योंकि अस्तित्व नारी का है
    यह कोई भुला ना पाए
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।

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    1. सहृदय आभार ज्योती बहन

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  5. बहुत सुंदर सखी ,नारी अब सिर्फ एक ही जगह पर हरा दी जा रही हैं और वो हैं नपुंसक पुरुषो की गिरी हुयी मानसिकता से । पर निराश ना हो सखी ,अब वो दिन भी दूर नहीं जब निर्भयता के साथ नारी इसका परित्युत्तर भी जल्द देगी। अब हमे अपने पर तरस खाना छोड़ खुद पर मान करना सीखना होगा ,सच कहा गोपेश जी ने -अब हमे किसी राम का इंतज़ार नहीं करना हैं।

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    1. जी सही कहा आपने सहृदय आभार सखी

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  6. सार्थकता लिये सशक्त लेखन ...

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    1. सहृदय आभार आदरणीया

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