इस सुंदर से संसार में
कहीं भरी है रौनकें
कहीं बहुत है दर्द भरे
भर रहा था रंग जब
ले तूलिका वो हाथ में
काश कुछ तो फर्क करता
इंसान और हैवान में
पहचानना आसान होता
भीड़ में संसार की
फिर शक न होता
इंसान को इंसान पर
रंग बहुत भरे है उसने
इस सुंदर संसार में
बस एक रंग मिटा देता
मतलब का संसार से
कोमलता का रूप रचा
नारी का संसार में
ममता का रंग मिले
नारी से संसार को
पर जीवन में उसके
रंग भरे कैसे भेदभाव के
यह कैसा चित्रकार है
जिसने रंग भरे संसार में
***अनुराधा चौहान***
वाह!!बहुत सुंदर भाव 👌👌सखी अनुराधा जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार शुभा जी
Deleteसुंदर भाव 👌
ReplyDeleteआपका आभार अंकित जी
Deleteशाब्बाश
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी
Deleteबेहतरीन सृजन 👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी
Deleteममता का रंग मिले
ReplyDeleteनारी से संसार को
पर जीवन में उसके
रंग भरे कैसे भेदभाव के
यह कैसा चित्रकार है
जिसने रंग भरे संसार में
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।
धन्यवाद ज्योती जी
Deleteउसने तो प्रेम के सिवा कोई दूसरा रंग भरा ही नहीं..यह तो इंसान ही है जो रंग भरता है द्वेष के..
ReplyDeleteप्रेम का ही नहीं रंग तो उसने कई भरे जिसको
Deleteभगवान ने भी मानव रूप में जिया है सिर्फ प्रेम का रंग भरा होता तो मानव रूप में प्रभू को कष्ट न झेलना पड़ता बहुत बहुत आभार आपकी प्रतिक्रिया के लिए अनिता जी
वाह
ReplyDeleteक्या बात हैं अनुराधा जी।तश्वीर को क्या खूब शब्द दे दिए हैं अपने
रंग भरे कैसे भेदभाव के
यह कैसा चित्रकार है
बहुत बहुत आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है
Deleteवाह !!!बहुत सुन्दर रचना। लाजवाब भाव।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मन में उत्साह बढ़ाती है
Deleteवाह!!बहुत खूब 👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद अनिता जी
Deleteसंसार की विसंगतियों पर गहरा क्षोभ लिये रचना ।
ReplyDeleteगठन सुंदर है भाव स्पष्ट ।
सब करमण का खेल है
कोई हंसे कोई रोऐ ।
करने वाला को नही
समझो ये मर्म
फल देते सदा
अपने ही पूर्व कृत कर्म।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है
Deleteबहुत बहुत आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए
ReplyDeleteले तूलिका वो हाथ में
ReplyDeleteकाश कुछ तो फर्क करता
इंसान और हैवान में....
सच कहा आपने, ईश्वर भी कभी-कभी अजूबा कर बैठते हैं।
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी
Deleteइस विषय पर अलग विचार के साथ लिखी गयी रचना आपको सबसे न्यारा और उम्दा रचनाकार बनाती है.बेहद खुबसुरत अभिव्यक्ति. रंगसाज़
ReplyDeleteबेहतरीन रचना सखी 👌
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दीपशिखा जी
Deleteबहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सुधा जी
Deleteरंग बहुत भरे है उसने
ReplyDeleteइस सुंदर संसार में
बस एक रंग मिटा देता
मतलब का संसार से
सही कहा आपने, बहुत सुंदर रचना