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Monday, September 24, 2018

यह कैसे रंग

यह कैसे रंग भरे
इस सुंदर से संसार में
कहीं भरी है रौनकें
कहीं बहुत है दर्द भरे
भर रहा था रंग जब
ले तूलिका वो हाथ में
काश कुछ तो फर्क करता
इंसान और हैवान में
पहचानना आसान होता
भीड़ में संसार की
फिर शक न होता
इंसान को इंसान पर
रंग बहुत भरे है उसने
इस सुंदर संसार में
बस एक रंग मिटा देता
मतलब का संसार से
कोमलता का रूप रचा
नारी का संसार में
ममता का रंग मिले
नारी से संसार को
पर जीवन में उसके
रंग भरे कैसे भेदभाव के
यह कैसा चित्रकार है
जिसने रंग भरे संसार में
***अनुराधा चौहान***

32 comments:

  1. वाह!!बहुत सुंदर भाव 👌👌सखी अनुराधा जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार शुभा जी

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  2. Replies
    1. बहुत बहुत आभार यशोदा जी

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  3. बेहतरीन सृजन 👌👌

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  4. ममता का रंग मिले
    नारी से संसार को
    पर जीवन में उसके
    रंग भरे कैसे भेदभाव के
    यह कैसा चित्रकार है
    जिसने रंग भरे संसार में
    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।

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  5. उसने तो प्रेम के सिवा कोई दूसरा रंग भरा ही नहीं..यह तो इंसान ही है जो रंग भरता है द्वेष के..

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    1. प्रेम का ही नहीं रंग तो उसने कई भरे जिसको
      भगवान ने भी मानव रूप में जिया है सिर्फ प्रेम का रंग भरा होता तो मानव रूप में प्रभू को कष्ट न झेलना पड़ता बहुत बहुत आभार आपकी प्रतिक्रिया के लिए अनिता जी

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  6. वाह
    क्या बात हैं अनुराधा जी।तश्वीर को क्या खूब शब्द दे दिए हैं अपने

    रंग भरे कैसे भेदभाव के
    यह कैसा चित्रकार है

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है

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  7. वाह !!!बहुत सुन्दर रचना। लाजवाब भाव।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मन में उत्साह बढ़ाती है

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  8. संसार की विसंगतियों पर गहरा क्षोभ लिये रचना ।
    गठन सुंदर है भाव स्पष्ट ।
    सब करमण का खेल है
    कोई हंसे कोई रोऐ ।
    करने वाला को नही
    समझो ये मर्म
    फल देते सदा
    अपने ही पूर्व कृत कर्म।

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    1. बहुत बहुत आभार सखी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती है

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  9. बहुत बहुत आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए

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  10. ले तूलिका वो हाथ में
    काश कुछ तो फर्क करता
    इंसान और हैवान में....
    सच कहा आपने, ईश्वर भी कभी-कभी अजूबा कर बैठते हैं।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय

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  11. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार श्वेता जी

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  12. इस विषय पर अलग विचार के साथ लिखी गयी रचना आपको सबसे न्यारा और उम्दा रचनाकार बनाती है.बेहद खुबसुरत अभिव्यक्ति. रंगसाज़

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  13. बेहतरीन रचना सखी 👌

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  14. Replies
    1. बहुत बहुत आभार दीपशिखा जी

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  15. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति..

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी

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  16. रंग बहुत भरे है उसने
    इस सुंदर संसार में
    बस एक रंग मिटा देता
    मतलब का संसार से

    सही कहा आपने, बहुत सुंदर रचना

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