माथे पर कुमकुम सजे
करें सोलह श्रृंगार
सुहागिनें मनाएं मिलकर
करवाचौथ का त्यौहार
मेहंदी लगे हाथों में
रंग-बिरंगी चूड़ियां
आलता लगे पैरों में
छनकती हैं पायलिया
हो सुहाग अमर
सब गाएं मंगलगीत
व्रत यह निर्जला
है चंद्र दर्शन की प्रीत
बादलों संग अठखेलियां
कर खूब सताता चांद भी
धरती पर चांद से मुखड़े
देख इठलाता बहुत वो
देखो वो देखो चाँद नजर आया
सब सखियों का मन हर्षाया
अर्घ्य दें चंद्रमा को करें व्रत पूर्ण
खुशियों से भरा हो जीवन सम्पूर्ण
***अनुराधा चौहान***
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, अनुराधा दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योती जी
Deleteवाह ....लाजवाब
ReplyDeleteधन्यवाद नीतू जी
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 28 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए
Deleteवाह ...
ReplyDeleteसुंदर गीत करवा चौथ के उपलक्ष्य में ...
बधाई ...
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteवाह्हह.. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना अनुराधा जी।
ReplyDeleteकरवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी
Deleteबहुत सुंदर भाव पूर्ण गीत।,सखी ।हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteशुभकामनाएं करवा चौथ की। सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteSunder rachna
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रितू जी
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