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Tuesday, October 16, 2018

मैं न वजह बनूं

मेरे साथी मेरे हमसफर
मेरा प्यार बनकर
तुम आए हो मेरी जिंदगी में
पूनम का चाँद बनकर
तुम माथे की बिंदिया
मेरा श्रृंगार हो
मेरे मुस्कुराहटों की
वजह भी तुम हो
तुमसे ही मेरी जिंदगी में
आई यह बहार है
मेरे अंधेरे जीवन का
तुम प्रकाश हो
अब राह कितनी भी लंबी
या कांटों भरी रहे
जब हाथ तेरा हो हाथ में
सफर यूं हीं चलता रहे
चाँद के संग जैसे जुड़ी है चाँदनी
साथ मेरा साए सा
तुझ संग जुड़ा रहे
तेरे दु:ख की कभी भी
मैं न वजह बनूं
मुस्कान तेरे चेहरे पे
खिलती सदा रहे
***अनुराधा चौहान***

15 comments:

  1. बहुत मनभावन सखी ,सरस रचना ।

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  2. बहुत ही सुन्दर .....वजह

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    1. बहुत बहुत आभार नीतू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  3. सफर यूं हीं चलता रहे
    चाँद के संग जैसे जुड़ी है चाँदनी
    बहुत सुन्दर....
    वाह!!!

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    1. बहुत बहुत आभार सुधा जी

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  4. वाह!!सखी ,बहुत सुंदर !

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    1. बहुत बहुत आभार शुभा जी

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  5. बहुत खूबसूरत रचना...

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    1. धन्यवाद आदरणीय अंकित जी

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  6. बहुत खूब। सुंदर रचना ।

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  7. यूँ ही चले ये ज़िंदगी का सफ़र ... ख़ूबसूरत रचना है ...

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