जीवन की इस डगर में
कहीं छांव कहीं धूप है
कहीं चुभते कांटे
कहीं महके फूल है
कदम संभल कर रखना
लक्ष्य से नहीं फिसलना
जीवन की आंधियों में
हिम्मत से काम लेना
कर्मों का सबके ऊपर
रहता है लेखा-जोखा
सदमार्ग से भटकने का
फल सबको है भुगतना
जीवन भी क्या वो जीना
जो अपने लिए जिए
करो सत्कर्म ऐसे
नाम अमर कर दो
कभी हौंसला डिगे तो
आंखों को बंद करना
जो शहीद हुए वतन पर
उनको तुम याद करना
दे गए हमें आजादी
आजाद वतन कर गए
वो हो गए कुर्बान
पर नाम अमर कर गए
जब तक यह जहां है
नाम अमर रहेगा
सम्मान में सदा उनके
यह शीश झुका रहेगा
***अनुराधा चौहान***✍
कहीं छांव कहीं धूप है
कहीं चुभते कांटे
कहीं महके फूल है
कदम संभल कर रखना
लक्ष्य से नहीं फिसलना
जीवन की आंधियों में
हिम्मत से काम लेना
कर्मों का सबके ऊपर
रहता है लेखा-जोखा
सदमार्ग से भटकने का
फल सबको है भुगतना
जीवन भी क्या वो जीना
जो अपने लिए जिए
करो सत्कर्म ऐसे
नाम अमर कर दो
कभी हौंसला डिगे तो
आंखों को बंद करना
जो शहीद हुए वतन पर
उनको तुम याद करना
दे गए हमें आजादी
आजाद वतन कर गए
वो हो गए कुर्बान
पर नाम अमर कर गए
जब तक यह जहां है
नाम अमर रहेगा
सम्मान में सदा उनके
यह शीश झुका रहेगा
***अनुराधा चौहान***✍
वाह बहुत सुंदर और शाश्वत कथन लिये सार्थक रचना ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी
Deleteबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteधन्यवाद दी
Deleteआजाद वतन कर गए
ReplyDeleteवो हो गए कुर्बान
पर नाम अमर कर गए
जब तक यह जहां है
नाम अमर रहेगा
सम्मान में सदा उनके
यह शीश झुका रहेगा
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,अनुराधा दी।
धन्यवाद ज्योती जी
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