मन के सूने आंगन में
तेरे ख्बावों ने दस्तक दी
अब ख्बाव भी तेरे
ख्याल भी तेरे
मन वीणा के राग भी तेरे
यादों में तेरी सूरत
तू ही मेरी प्रीत की मूरत
तुझसे मिलने की लगन लगी
राह निहारूं घड़ी घड़ी
सपनों में मेरे आने वाले
थाम ले आकर हाथों को मेरे
तेरे बिन दिल मेरा बैचेन
न दिन कटे न कटे यह रैन
दिल में दस्तक देने वाले
अपने दिल में मुझे बसा लें
मेरे जीवन का बन कर गीत
मुझको अपना संगीत बना ले
***अनुराधा चौहान***
बहुत बहुत आभार दी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अमित जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
ReplyDeleteमन के सूने आंगन में
ReplyDeleteतेरे ख्बावों ने दस्तक दी
अब ख्बाव भी तेरे
ख्याल भी तेरे.....वाह उत्तम।
बहुत बहुत आभार सखी
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना सखी 👌
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