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Wednesday, October 24, 2018

ख्बावों की दस्तक


मन के सूने आंगन में
तेरे ख्बावों ने दस्तक दी
अब ख्बाव भी तेरे
ख्याल भी तेरे
मन वीणा के राग भी तेरे
यादों में तेरी सूरत
तू ही मेरी प्रीत की मूरत
तुझसे मिलने की लगन लगी
राह निहारूं घड़ी घड़ी 
सपनों में मेरे आने वाले
थाम ले आकर हाथों को मेरे
तेरे बिन दिल मेरा बैचेन
  न दिन कटे न कटे यह रैन
 दिल में दस्तक देने वाले
अपने दिल में मुझे बसा लें
मेरे जीवन का बन कर गीत
मुझको अपना संगीत बना ले
***अनुराधा चौहान***

6 comments:

  1. बहुत बहुत आभार दी

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  2. दिल में दस्तक देने वाले
    अपने दिल में मुझे बसा लें
    मेरे जीवन का बन कर गीत
    मुझको अपना संगीत बना ले
    .
    उत्तम रचना मैम...
    नपे-सधे सुमधुर शब्दों ने रचना की सादगी को दीप्तिमान किया है।
    एक बार और कहूँगा, शब्दों को बिना किसी त्रुटि के यथावत लिखने के लिए आप श्रद्धा की पात्र हैं। सादर नमन एवं शुभकामनाएँ💐🙏💐

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    Replies
    1. बहुत बहुत आभार अमित जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए

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  3. मन के सूने आंगन में
    तेरे ख्बावों ने दस्तक दी
    अब ख्बाव भी तेरे
    ख्याल भी तेरे.....वाह उत्तम।

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना सखी 👌

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