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Tuesday, September 13, 2022
हमारी शान है हिन्दी
Friday, August 12, 2022
अभिमान है तिरंगा
Tuesday, June 28, 2022
मौन की यात्रा
मौन ढूँढे नव दुशाला
व्यंजना के फिर जड़ाऊ।
यत्न करके हारता मन
वर्ण खोए सब लुभाऊ।
खो गई जाने कहाँ पर
रस भरी अनमोल बूटी
चित्त में नोना लगा जब
भाव की हर भीत टूटी
नींव फिर से बाँधने मन
कल्पना ढूँढे टिकाऊ।
मौन ढूँढे नव........
भाव का पतझड़ लगा जब
मौन सावन भूलता है।
कागज़ों की नाव लेकर
निर्झरों को ढूँढता हैं।
रूठकर मधुमास कहता
बह रही पुरवा उबाऊ।
मौन ढूँढे नव........
वर्ण मिहिका बन चमकते
और पल में लोप होते।
साँझ ठिठके देहरी पर
देख तम को बैठ सोते।
लेखनी भी ऊंघती सी
मौन की यात्रा थकाऊ।।
मौन ढूँढे नव........
*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
Saturday, June 11, 2022
व्याधियाँ
मेटती सुख क्यारियों से
व्याधियाँ लेकर कुदाली।
क्रोध में फुफकार भरती
जूझती हर एक डाली।
आज बंजर सी धरा कर
कष्ट के सब बीज बोते।
मारती लू जब थपेड़े
चैन के मधुमास खोते।
दंड कर्मों का दिलाने
काल तब करता दलाली।
मेटती सुख....
नीलिमा धूमिल हुई नभ
विष धुआँ आकार लेता।
रोग का फिर रूप देकर
विष वही उपहार देता।
काटते बोया हुआ सब
भाग्य के बन आज माली।
मेटती सुख....
व्याधियाँ नव रूप लेकर
बेल सी लिपती पड़ी हैं।
हाड़ की गठरी विजय का
युद्ध अंतिम फिर लड़ी है।
श्वास सट्टा हार बैठी
बोलती विधना निराली।
मेटती सुख....
©® अनुराधा चौहान'सुधी'✍️