क्यों दिल के तार
झनझनाते हैं
क्यों अकेले में
झनझनाते हैं
क्यों अकेले में
हम मुस्कुराते हैं
लगाकर तस्वीर तेरी
हम सीने से अपने
यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
यह तेरी मोहब्बत है
या नजर का छलावा
कैसे भूलूं तुझको
तुझे दिल में बसाया
आजा ओ हरजाई
करके बहाना
यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
तन्हाइयों के बादल
आकर घिरें हैं
अश्कों के मोती
चमकने लगें हैं
कर प्रेम की बारिश
आ गले से लगा ले
देख यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
जीने न देंगी
ज़माने की रुसवाई
मरने न देगा
तेरा प्यार हरजाई
चाहते हो तुम भी मुझको
मैं यह जानतीं हूँ
यादों में मेरी तुम भी
हरपल हो खोए
यादों में तेरी
हम हरपल हैं खोए
***अनुराधा चौहान***
प्रेम में डूबे पल ऐसे ही होते हैं ...
ReplyDeleteपर इनपर किसी का बस भी नहीं होता ... और अच्छे दिन भी यही तो होते हैं ...
जी बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत ही खूबसूरत.. रचना जी
ReplyDelete👌👌👌
धन्यवाद आदरणीय
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 15 नवम्बर 2018 को प्रकाशनार्थ 1217 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत बहुत आभार आदरणीय मेरी रचना को स्थान देने के लिए
Deleteप्रेम में डूबे व्यक्ति की मनोदशा व्यक्त करती सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 14/11/2018 की बुलेटिन, " काहे का बाल दिवस ?? “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
प्रेम पगे पल और अनुरागी मन !! यही स्थिति होती होगी एक प्रेम में निमग्न मन की | सुंदर,सरस रचना प्रिय अनुराधा बहन | सस्नेह बधाई --
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रेनू जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteवाह बहुत खूब,
ReplyDeleteदिल को छू गयी ये लाइन्स
जीने न देंगी
ज़माने की रुसवाई
मरने न देगा
तेरा प्यार हरजाई
बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteअब हरजाई कहके कोई बिरहिन पुकारेगी तो उसका पिया क्यों वापस आएगा? प्रेम-निवेदन में थोड़ी चाशनी घोली जाए और विरह-व्यथा को अत्यधिक वेदना के साथ प्रस्तुत किया जाए तो विरह को मिलन में बदला जा सकता है. हमारी शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना अनुराधा जी....👌👌
ReplyDeleteमेरी दो पंक्तियाँ समर्पित है आपकी रचना पर
जाने न मनमोहना समझे न हिय के पीर।
विनती करके हार गयी कैसे धरुँ मैं धीर।।
वाह बहुत सुंदर पंक्तियां श्वेता जी
Deleteबहुत बहुत आभार आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
प्रेम पगी यादों भरी बहुत ही लाजवाब रचना....
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteआकंठ अनुरागरत मन की सुंदर समर्पण भाव से भरी रचना प्रिय अनुराधा जी | हार्दिक बधाई और शुभकामनायें |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार रेनू जी
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