भूल कर सारे ग़म
आज फिर खिलखिलाते हुए
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं
भूल के झगड़े पुराने
आओ मिलकर गाएं गाने
दोस्ती का जश्न मनाते हैं
पहन कर रंग बिरंगी टोपियां
खुशियों को फिर बुलाते हैं
उम्र हमारी अब ढल चुकी तो क्या
दिल तो अभी भी बच्चा है
बच्चों को नहीं फिकर हमारी
दोस्तों का प्यार सच्चा है
आज उम्र को परे रखकर
गीत पुराने गुनगुनाते हैं
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं
जन्मदिन आज साथी का
मिलकर धूम मचाते हैं
अब साथी हम सुख-दुख के सभी
जिंदगी साथ बिताते हैं
छोड़ दिया साथ हमारे अपनों ने
साथ न छोड़ा हमारे सपनों ने
जिंदगी जब हमें यहां ले आई
तो फिर क्यों झेलें हम तन्हाई
हम तनहाईयों को ठेंगा दिखाते हैं
आज फिर खिलखिलाते हुए
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं
***अनुराधा चौहान***
वाह वाह क्या खूब सकरात्मक ता का बहता झरना ......👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार इंदिरा जी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
ReplyDeleteवाह सखी अनुपम सच जिंदगी में जिंदा दिली होनी चाहिए उम्र गई पानी लेने ।
ReplyDeleteवाह वाह।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteसच में बचपन से अच्छा कुछ नहीं ,मनुष्य के भीतर का बचपना हमेशा जिंदा रहना चाहिए,इसी में जिंदा दिली है ,अच्छी रचना
ReplyDeleteधन्यवाद रितु जी
Deleteवाह !
ReplyDeleteबहुत खूब
हम फिरसे बच्चे बन जाते है..
धन्यवाद रविन्द्र जी
Deleteछोड़ दिया साथ हमारे अपनों ने
ReplyDeleteसाथ न छोड़ा हमारे सपनों ने
जिंदगी जब हमें यहां ले आई
तो फिर क्यों झेलें हम तन्हाई
हम तनहाईयों को ठेंगा दिखाते हैं
आज फिर खिलखिलाते हुए
हम फिर से बच्चे बन जाते हैं!!!!
बड़ा ही सकारात्मक जज्बा है इन बड़े बच्चों का | यदि सब यही सोच अपना लें तो जीवन की वेदना कितनी कम हो जाए | बड़े बच्चों की भोली सी रचना के लिए हार्दिक शुभकामनायें प्रिय अनुराधा जी |
बहुत बहुत आभार रेनू जी
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