बना कर ऊंची हवेली
दिल का सुकून ढूंढ़ते हैं
खींच कर दिलों में लकीरें
मिलने की वजह ढूंढ़ते हैं
दफ़न हो रही प्रेम की दौलत
इन सजावटी दीवारों में
इस तो अच्छेे हैं वो
जिनके घर छोटे होते हैं मगर
वो लोग दिल के अमीर होते हैं
बन जाती छोटी-छोटी खुशियां
उनके लिए एक त्यौहार
संकट में एक-दूजे साथ खड़े होते
सुख-सुविधा न हो पर दिल बड़ा रखते
संकट में एक-दूजे साथ खड़े होते
सुख-सुविधा न हो पर दिल बड़ा रखते
छोटे से घर में भी
मिलजुलकर रहता परिवार
प्रेम बरसता प्रतिफल वहां
होता शांति का आवास
प्रेम बरसता प्रतिफल वहां
होता शांति का आवास
कितने भी हो ऐशो-आराम
पर खुशियां नहीं मिलती
दिल को सुकून मिलता
अपनों के प्रेम से
***अनुराधा चौहान***
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार
बहुत बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर भाव रचना।
ReplyDeleteसही कहा आपने सखी पैसे से भौतिक वस्तुएं खरीदी जा सकती है शांति और सुख नही।
बहुत बहुत आभार सखी आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २९ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार श्वेता जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए
Deleteबहुत ही सुन्दर भावप्रवण रचना....
ReplyDeleteवाह!!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सखी
Delete