कुछ वादों की हवा चली
कुछ मुलाकातों की हवा चली
कहीं तानाकशी का दौर है
कहीं झूठी अफवाहों का जोर है
अब बेरोजगारों का आया ध्यान
लगता है पास में है चुनाव
पेट्रोल के दाम कुछ कम हुए
लगता है अब दिन ठीक हुए
अब हर जाति धर्म की चिंता
उनके हितों का उठता मुद्दा
तब तक सबको गले लगाते
जब तक चुनाव निकट नहीं आते
वोटों की यह कैसी माया
यह कोई अभी तक जान न पाया
वोटों के लिए घर-घर जाते
फिर सालों तक नजर नहीं आते
मंहगाई बेरोजगारी इनका मुद्दा
पर ऊपरी मन से करते हैं चिंता
पर असल में यह है वोटों की प्रीत
फिर सब भूल जाते चुनाव बीत
***अनुराधा चौहान***
सुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद दीपशिखा जी
Deleteबहुत बहुत सुंदर आदरणिया अनुजा
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत बहुत आभार यशोदा जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए
ReplyDeleteसमसामयिक मुद्दों पर सटीक प्रहार...बहुत अच्छी रचना अनुराधा जी।
ReplyDeleteधन्यवाद श्वेता जी
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...सटीक....