Followers

Wednesday, September 26, 2018

गुब्बारे सस्ते हैं लेलो

लाल गुलाबी नीले पीले
गुब्बारे सस्ते हैं लेलो
कहकर वो आवाज लगाती
गोदी में था बाल सलोना
कपड़े में इक बोतल लिपटी
जिससे उसको दूध पिलाती
फिर भी रह रह कर रोता था
इक पल भी नहीं सोता था
गुजरती रही थी पास से उसके
मैं देख ठिठक कर रुक गई
पूछा यह क्यों इतना रोता है
दूध पीकर भी नहीं सोता है
ले आंखों में नमी वो बोली
भूख तो इसकी तब मिटती
जब मैं इसको दूध पिलाती
बोतल में तो पानी है
जिससे इसको मैं बहलाती
गर बिक जाते कुछ गुब्बारे
दूध कहीं से ले आती
भूखा मेरा बाल सलोना
पेट भर कर इसे पिलाती
बोली में उसके दर्द बहुत
आंखों में उसके पानी था
सुनकर उसकी बातों को
आंखें मेरी भी भर आईं
घर में नहीं कोई छोटा बच्चा
फिर भी खुद को रोक न पाई
खरीद लिए कुछ गुब्बारे
लेकर उनको घर पर आई
 ***अनुराधा चौहान***

20 comments:

  1. बोतल में तो पानी है
    जिससे इसको मैं बहलाती

    वाह बहुत भावपूर्ण रचना। सोचने को

    मजबूर कर दिया।

    बधाई आपको;

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय

      Delete
  2. Replies
    1. बहुत बहुत आभार सखी अनिता जी

      Delete
  3. मर्म स्पर्शी रचना सच सखी जो कर्म करके पेट भरना चाहे उनकी यथा योग्य सहायता करनी चाहिए।
    सुंदर संदेश देती रचना ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरा भी यही मानना है बहुत बहुत आभार सखी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए

      Delete
  4. बहुत भावपूर्ण , अत्यंत सुंदर ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत आभार मीना जी

      Delete
  5. घर में नहीं कोई छोटा बच्चा
    फिर भी खुद को रोक न पाई
    खरीद लिए कुछ गुब्बारे
    लेकर उनको घर पर आई
    मानविय संवेदना से परिपूर्ण रचना।

    ReplyDelete
  6. अत्यंत महत्वपूर्ण एवं मार्मिक रचना किया है आपने।
    आपकी रचना ने तो हमें भाव विभोर कर दिया ।

    ReplyDelete
  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    ReplyDelete
  8. ये कवियत्री मन के साथ ममता की भवना का अद्भुत संगठन हुआ...दिल पर जैसे किसी ने कसीदे निकाल दिये.बहुत उम्दा रचना. रंगसाज़

    ReplyDelete
  9. बेहतरीन रचना सखी 👌

    ReplyDelete
  10. सुंदर रचना अनुराधा ज़ी

    ReplyDelete
  11. बहुत ही संवेदनशील , हृदयस्पर्शी रचना...
    वाह!!!

    ReplyDelete
  12. भूख तो इसकी तब मिटती
    जब मैं इसको दूध पिलाती
    बोतल में तो पानी है
    जिससे इसको मैं बहलाती

    जीवन की सच्चाई लिख दी आपने

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से मेरी मेहनत सफल हो गई

      Delete