लाल गुलाबी नीले पीले
गुब्बारे सस्ते हैं लेलो
कहकर वो आवाज लगाती
गोदी में था बाल सलोना
कपड़े में इक बोतल लिपटी
जिससे उसको दूध पिलाती
फिर भी रह रह कर रोता था
इक पल भी नहीं सोता था
गुजरती रही थी पास से उसके
मैं देख ठिठक कर रुक गई
पूछा यह क्यों इतना रोता है
दूध पीकर भी नहीं सोता है
ले आंखों में नमी वो बोली
भूख तो इसकी तब मिटती
जब मैं इसको दूध पिलाती
बोतल में तो पानी है
जिससे इसको मैं बहलाती
गर बिक जाते कुछ गुब्बारे
दूध कहीं से ले आती
भूखा मेरा बाल सलोना
पेट भर कर इसे पिलाती
बोली में उसके दर्द बहुत
आंखों में उसके पानी था
सुनकर उसकी बातों को
आंखें मेरी भी भर आईं
घर में नहीं कोई छोटा बच्चा
फिर भी खुद को रोक न पाई
खरीद लिए कुछ गुब्बारे
लेकर उनको घर पर आई
***अनुराधा चौहान***
गुब्बारे सस्ते हैं लेलो
कहकर वो आवाज लगाती
गोदी में था बाल सलोना
कपड़े में इक बोतल लिपटी
जिससे उसको दूध पिलाती
फिर भी रह रह कर रोता था
इक पल भी नहीं सोता था
गुजरती रही थी पास से उसके
मैं देख ठिठक कर रुक गई
पूछा यह क्यों इतना रोता है
दूध पीकर भी नहीं सोता है
ले आंखों में नमी वो बोली
भूख तो इसकी तब मिटती
जब मैं इसको दूध पिलाती
बोतल में तो पानी है
जिससे इसको मैं बहलाती
गर बिक जाते कुछ गुब्बारे
दूध कहीं से ले आती
भूखा मेरा बाल सलोना
पेट भर कर इसे पिलाती
बोली में उसके दर्द बहुत
आंखों में उसके पानी था
सुनकर उसकी बातों को
आंखें मेरी भी भर आईं
घर में नहीं कोई छोटा बच्चा
फिर भी खुद को रोक न पाई
खरीद लिए कुछ गुब्बारे
लेकर उनको घर पर आई
***अनुराधा चौहान***
बोतल में तो पानी है
ReplyDeleteजिससे इसको मैं बहलाती
वाह बहुत भावपूर्ण रचना। सोचने को
मजबूर कर दिया।
बधाई आपको;
आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन रचना 👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सखी अनिता जी
Deleteमर्म स्पर्शी रचना सच सखी जो कर्म करके पेट भरना चाहे उनकी यथा योग्य सहायता करनी चाहिए।
ReplyDeleteसुंदर संदेश देती रचना ।
मेरा भी यही मानना है बहुत बहुत आभार सखी आपकी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए
Deleteबहुत भावपूर्ण , अत्यंत सुंदर ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार मीना जी
Deleteघर में नहीं कोई छोटा बच्चा
ReplyDeleteफिर भी खुद को रोक न पाई
खरीद लिए कुछ गुब्बारे
लेकर उनको घर पर आई
मानविय संवेदना से परिपूर्ण रचना।
धन्यवाद ज्योती जी
Deleteअत्यंत महत्वपूर्ण एवं मार्मिक रचना किया है आपने।
ReplyDeleteआपकी रचना ने तो हमें भाव विभोर कर दिया ।
धन्यवाद आदरणीय 🙏
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक १ अक्टूबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
ये कवियत्री मन के साथ ममता की भवना का अद्भुत संगठन हुआ...दिल पर जैसे किसी ने कसीदे निकाल दिये.बहुत उम्दा रचना. रंगसाज़
ReplyDeleteबेहतरीन रचना सखी 👌
ReplyDeleteसुंदर रचना अनुराधा ज़ी
ReplyDeleteबहुत ही संवेदनशील , हृदयस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteवाह!!!
धन्यवाद सुधा जी
Deleteभूख तो इसकी तब मिटती
ReplyDeleteजब मैं इसको दूध पिलाती
बोतल में तो पानी है
जिससे इसको मैं बहलाती
जीवन की सच्चाई लिख दी आपने
आभार आदरणीय आपकी सार्थक प्रतिक्रिया से मेरी मेहनत सफल हो गई
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