Followers

Thursday, February 14, 2019

वीरों की शहादत

टूटी लाठी झुका बुढ़ापा 
बिछड़ गया है लाल मात का
बच्चे हो गए जुदा पिता से
खोया साया खोयी हँसी भी
मिटा सुहाग टूट गईं चूड़ी 
आँंखे पथराई देख पिता की
बिलख रही माँ हृदय लगाकर 
एक झटके में उजड़ी दुनियांँ
चकनाचूर हुए सब सपने
हँस के गए थे घर से अपने
ओढ़ तिरंगा वो चुप सो गए 
फिर आने का टूटा वादा
खत्म हुई खुशियों की मंज़िल
वीरों की शहादत पर अब
धरती माँ चित्कार उठी
पहले उरी अब पुलवामा
अब तो कुछ शर्म करो
अब धीरज नहीं अब रण करो
कब तक चलेगा कत्लेआम
कब तक यूंँ शहीद होंगे जवान
अब आर-पार की लड़ाई करो
मानवता की हत्या कर गई
पाकिस्तान की नापाक हरकतें
आदिल अहमद, मसूद अजहर
जिनके साए में पलते यह अजगर
आतंक के उस माई-बाप को
इस दुनिया से ही खत्म करो
अब सांत्वना नहीं कर्म करो
दुश्मन का संहार करो
सर्वनाश करो सर्वनाश करो
***अनुराधा चौहान***© स्वरचित
देश के वीर सपूतों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🙏🙏

16 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 17 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार यशोदा जी

      Delete
  2. विनम्र श्रद्धांजलि

    ReplyDelete
  3. अब सांत्वना नहीं कर्म करो
    दुश्मन का संहार करो
    सर्वनाश करो सर्वनाश करो
    बिलकुल सही कहा आपने कब रुकेगा ये शहादत ,सच कल प्रेम दिवस नहीं धिक्कार दिवस था, भगवान उनके परिजनों को ये दुःख सहने की हिम्मत दे ,हमारे बस में और कुछ तो है नहीं बस आश्रु के रूप में दो श्रद्धा सुमन चढ़ा सकते है।

    ReplyDelete
  4. सुन्दर रचना सखी |लूट गया जिस का जहाँ,उस के हिस्से में आँख का पानी आ गया |भूल गए मुस्कुराना,हर हिचकी पर रोना आ गया |नमन
    सादर

    ReplyDelete
  5. बहुत हृदयस्पर्शी...
    वीर शहीदों को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...

    ReplyDelete
  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ११ अगस्त २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार श्वेता जी। देरी से जबाव देने के लिए माफी चाहती हूँ।

      Delete
  7. Replies
    1. हार्दिक आभार आदरणीय

      Delete
  8. मातृ भूमि की बलिवेदी पर अपने अमूल्य जीवन की आहुति देने वाले बलिदानियों का मर्मांतक शब्द चित्र मन को छू कर निकल गया प्रिय अनुराधा जी।जिनके अपने इस तरह से चले जाते हैं उनकी पीड़ा वही जाने या ईश्वर।एक दिन इन विवादों का निवारण करना ही होगा,आर या पार 🙏

    ReplyDelete