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Friday, February 8, 2019

प्रिय आ जाओ

प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
फूली अमराई
कोयलिया कूक उठी
कलियांँ चटकी
फुलवारी खिल उठी
फूलों पर हो रहा
भंवरों का गान
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
फूल उठी सरसों
आई ऋत मनभावन
पीली चूनर ओढ़ धरा
दिखलाती अपना यौवन
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
पेड़ों के झुरमुट से
झांकती धूप
झील के पानी में
दिखे तेरा ही रूप
याद तेरी तड़पाए
विरह की आग जलाए
प्रिय आ जाओ
हिय में हूक उठी
मौसम बहारों का
ले आया ऋतुराज
देर न कर प्रिय आ जाओ
कहीं बीत न जाए मधुमास
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 10 फरवरी 2019 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत आभार यशोदा जी

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  2. देर न कर प्रिय आ जाओ
    कहीं बीत न जाए मधुमास
    प्रिये से मिलन की आश ..............,बहुत मधुर और प्यारी रचना ,सादर स्नेह सखी

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  3. बहुत सुन्दर अनुराधा जी !
    उसका आना तो आशिक़/माशूक़ का दीवानापन ही तय करेगा -
    'जज़्बए इश्क़ सलामत है तो इंशा अल्ला,
    कच्चे धागे में चले आएँगे, सरकार बंधे.'

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  4. वाह वाह वाह ¡सखी बहुत ही मनभावन।

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  5. वाह वाह वाह
    पेड़ों के झुरमुट से
    झांकती धूप
    झील के पानी में
    दिखे तेरा ही रूप
    याद तेरी तड़पाए
    विरह की आग जलाए
    प्रिय आ जाओ
    हिय में हूक उठी
    बहुत ख़ूब मैम

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  6. पेड़ों के झुरमुट से
    झांकती धूप
    झील के पानी में
    दिखे तेरा ही रूप
    याद तेरी तड़पाए
    विरह की आग जलाए
    आपकी यह कविता काफी अच्छी लगी। धन्यवाद।

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    1. आपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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  7. Replies
    1. सहृदय आभार इंदिरा जी

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