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Thursday, February 14, 2019

डाल-डाल फूले पलाश

झरे पात पतझड़ में 
सूनी हो गईं डालियां
ऋतुराज ले आया बहारें
फूल उठी हैं कलियांँ
अंबर में ऊषा की लाली
पेड़ों पर सुर्ख पलाश
कुछ झर कर धरती बिछे
चहूँ और लाल ही लाल
दहकते अंगारों जैसे
मखमली लाल पलाश 
अनुराग भर रहे मन में
नव पल्लव के पात
सुर्ख होती फुगनियों पर
चहकते पंछियों का शोर
नव प्रसून खिले उठे
लो आई बसंती भोर
सूरज की किरणों से
दहक उठे सुर्ख अंगारे
चली फागुनी बयार
उमंग हर मन में भरने
खिले पलाश वन-वन
प्रकृति खिली कण-कण
डाल डाल फूले पलाश
बह रही बसंती बयार
मन में भरता उल्लास
अनुराग भरा यह मधुमास
***अनुराधा चौहान***
चित्र गूगल से साभार

12 comments:

  1. Replies
    1. धन्यवाद रवीन्द्र जी

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  2. बहुत खूब सखी ।

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  3. बहुत सुन्दर रचना
    सादर

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    ६ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. वाह! बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति अनुराधा जी।

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  6. बहुत सुंदर सृजन अनुराधा जी ,सादर नमन आपको

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