यादों की बदली-सी छाई
ख्व़ाबों में दिखी इक परछाई
आँखों में अश्रु थिरकने लगे
मन के भावों ने ली अंगड़ाई
हलचल-सी मची सीने में
रिश्तों की महक संग ले आई
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादें
याद आईं कुछ बीती बातें
अमराई की सौंधी खुशबू
ज़ेहन में सरसों फूल उठी
रेहट की खट-पट, खट-पट
बैलों के घुंघरू की गूँज उठी
मटके की थाप पे थिरक उठे
पर्दे में छिपे गोरे मुखड़े
पायल की मधुर रुनझुन-रुनझुन
चूड़ियों से खनकते घर के कोने
पर्दे, घुंघरू,रेहट,सरसों
बीत गए इन्हें देखे बरसों
सब चारदीवारी में सिमट गए
पत्थरों के शहर में जो बस गए
***अनुराधा चौहान***
बेहतरीन रचना
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 06 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार यशोदा जी
Deleteबहुत सुंदर सृजन है सखी पुरानी यादों की और ले जाती अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteवाह।
हार्दिक आभार सखी 🌹
Delete"पर्दे, घुंघरू,रेहट,सरसों
ReplyDeleteबीत गए इन्हें देखे बरसों
सब चारदीवारी में सिमट गए
पत्थरों के शहर में जो बस गए"
सच कहा अनुराधा जी. . शहरीकरण ने गांव की आबो हवा को कहीं गायब ही कर दिया, सब कुछ यादें बनकर रह गया
बहुत सुन्दर रचना 🙏
हार्दिक आभार अश्विनी जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
७ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक आभार श्वेता जी
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (07-10-2019) को " सनकी मंत्री " (चर्चा अंक- 3481) पर भी होगी।
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रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन सृजन अनुराधा जी ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार मीना जी
Deleteपर्दे, घुंघरू,रेहट,सरसों
ReplyDeleteबीत गए इन्हें देखे बरसों
सब चारदीवारी में सिमट गए
पत्थरों के शहर में जो बस गए
पत्थरों के शहर में यही सच है.
बहुत सुन्दर
हार्दिक आभार कविता जी
Deleteमटके की थाप पे थिरक उठे
ReplyDeleteपर्दे में छिपे गोरे मुखड़े
कभी कभी घूँघट भी बड़ा मनमोहक लगता हैं ,गांव की सोंधी खुसबू बिखेरत सुंदर रचना सखी
हार्दिक आभार सखी 🌹
Deleteवाह बहुत खूब लिखा आपने सखी।कुछ बातें अब बीता -सी लगती है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी 🌹
Deleteइन पत्थरों के घरों की कैद से निकल कर जीवन का आनद है ... असली स्वाद है ...
ReplyDeleteयथार्थ लिखा है ...
हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
२ नवंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
हार्दिक आभार श्वेता जी
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